बिलासपुर। रतनपुर के रानीगांव में बीमार ग्रामीणों की संख्या बढ़कर 448 हो गई है। इस पर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आधे वायरल इंफेक्शन और आधे डायरिया से पीड़ित हैं। गांव में डायरिया का प्रकोप होने की बात पहली बार सामने आई है। विभाग के अनुसार दूषित पानी के सेवन से ग्रामीण बीमार पड़ रहे है। बीते 10 दिन से रानीगांव में ग्रामीण लगातार बीमार पड़ रहे हैं। काफी समय तक स्वास्थ्य विभाग इस पर ध्यान नहीं दिया। समय पर उपचार की व्यवस्था नहीं करने से चंद दिनों के भीतर स्थिति बिगड़ गई।
इसकी खबर मिलने पर कलेक्टर डॉ. संजय अलंग की फटकार के बाद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ। इसके बाद कैंप लगाकर मरीजों का उपचार किया गया। उस दौरान बताया गया कि वायरल इंफेक्शन की वजह से लोग बीमार पड़े हैं। लेकिन इसके बाद होली पर स्वास्थ्य अमला निष्क्रिय हो गया।
गांव में कैंप लगाकर छोड़ दिया गया। वहीं दो दिनों में स्थिति और भी बिगड़ गई। गुरुवार को मरीजों की संख्या बढ़कर 448 पहुंच गई है। वहीं गुरुवार से स्वास्थ्य अमला फिर से सक्रिय हुआ है और ग्रामीणों को आवश्यक दवा दी गई। अधिकारियों का कहना है गांव का पानी दूषित हो गया है। इसकी वजह से लोग डायरिया से भी पीड़ित हो रहे हैं। टीम को गांव में तैनात किया गया है। उपचार किया जा रहा है।
कोरोना वायरस से निपटने की गई तैयारी का जायजा लेने स्वास्थ्य सचिव निकारिका सिंह बारिक बुधवार को बिलासपुर पहुंचीं। इस दौरान उनसे रानीगांव में ग्रामीणों के बीमार होने की जानकारी छिपाई गई। जबकि रानीगांव में ग्रामीण सर्दी-बुखार से ग्रसित हैं। स्वास्थ्य सचिव ने भी मीडिया के सामने बताया कि उन्हें रानीगांव में लोगों के बीमार पड़ने की जानकारी नहीं है।
रानीगांव के स्वास्थ्य कैंप के प्रभारी डॉ. विजय चंदेल ने जानकारी दी है कि गांव के लोग अब भी खुले में शौच कर रहे हैं। ऐसे में गांव का पानी दूषित हो गया है। यह ही गांव में बीमारी फैलाने की मुख्य वजह है। ग्रामीणों का ब्लड सैंपल लिए गया था। जांच में यह बात सामने आया है कि दूषित पानी पीने की वजह से ग्रामीण डायरिया से पीड़ित हुए हैं।
जिले में कोरोना वायरस को लेकर हाई अलर्ट चल रहा है। ऐसे में किसी भी प्रकार के मरीज मिलने पर तत्काल उपचार की व्यवस्था करना है। लेकिन रानीगांव में बड़ी संख्या में मरीज मिलने के बाद भी उनकी सुध नहीं ली जा रही है। अभी तक खानापूर्ति रवैया अपनाया गया है। जिले में हाई अलर्ट सिर्फ दिखावा बन कर रह गया है।