November 23, 2024

बेमेतरा में कुपोषित ने जीती सुपोषण की जंग : मां गई ‘दूर’ तो ममता की छांव बनी आंगनबाड़ी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में आंगनवाड़ी के मदद से कुपोषित नन्हे बालक ने सुपोषण की जंग जीत ली हैं। हंसते-खेलते परिवार में मां की अचानक मौत गम के साथ पारिवारिक अस्थिरता भी ले आती है। बच्चे यदि छोटे हों, तब ममता के अलावा उनकी छोटी-छोटी जरूरतों पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।  ऐसे समय में ममता की छांव और देखभाल मिलने से नन्हे पौधे की तरह ही बच्चे भी नया जीवन पा लेते हैं।  कुछ ऐसी ही कहानी बेमेतरा जिले के ग्राम कुंरा निवासी कुपोषित बालक युवराज की है, जिसने आंगनबाड़ी में मिली देखभाल से सुपोषण की ओर अपना कदम बढ़ाया है। 

स्थानीय पर्यवेक्षक रानू मिश्रा ने बताया कि नन्हा युवराज हर दिन आंगनबाड़ी आने वाला प्यारा बच्चा है।  उसकी उम्र 3 साल 6 महीने है. युवराज अपने पूरे परिवार के साथ रहता था। पूरा परिवार खुशहाल जिंदगी बिता रहा था कि अचानक उसकी मां बबीता दुनिया से चल बसी।  बबीता की मृत्यु से उनका पूरा परिवार दुखी और चिंतित हो गया।  नन्हा युवराज बार-बार मां को पूछता और ढ़ूंढता, पर किसी के पास कोई जवाब नहीं था।  एक समय के बाद युवराज दुखी होने लगा. इसका असर उसके स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगा। 

 
रानू ने बताया कि आंगनबाड़ी में कई बार युवराज से बात कर उसके मन की बातों को जानने की कोशिश की गई, पर वह बार-बार अपनी मां को ही पूछता।  हमारे सामने युवराज का बचपना और उसके चेहरे की मुस्कान कैसे वापस लाएं यह बहुत बड़ा प्रश्न था।  हमने युवराज के प्रति ज्यादा ध्यान देना शुरू किया।  युवराज का वजन 11 किलो 800 ग्राम था, जो मध्यम कुपोषित श्रेणी को दर्शा रहा था।  उसके वजन में आगामी दो महीनों तक भी कोई वृद्धि नहीं हुई जो एक चिंताजनक स्थिति थी। 

आंगनबाड़ी केन्द्र में भोजन और नाश्ता भी दिया जा रहा था, जिससे धीरे-धीरे युवराज की स्थिति में सुधार होने लगा।  अब वह खुलकर बात करने और बच्चों के साथ घुल-मिलकर खेलने लगा है।  उसका बचपना धीरे-धीरे वापस आने लगा है।  युवराज का वजन भी बढ़ गया।  अब उसका वजन 12 किलो 300 ग्राम हो गया है, जो सामान्य है।  इस तरह आंगनबाड़ी में मिली ममता नन्हे युवराज को कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाने में सफल साबित हुई। 

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