मध्य प्रदेश का सियासी संकट पहुंचा बेंगलुरु, तीन विधायक वहीं होने की खबरें
नई दिल्ली/भोपाल। मध्य प्रदेश में उभरे सियासी संकट के बीच कमलनाथ सरकार द्वारा नाराज विधायकों को मनाने की कोशिशें जारी है। बुधवार को चार विधायक दिल्ली से भोपाल लौट आए, लेकिन तीन विधायक अब भी गायब बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि ये सभी बेंगलुरु में हैं। इसके बाद प्रदेश का यह सियासी संकट अब हरियाणा के गुरुग्राम से कर्नाटक के बेंगलुरु शिफ्ट हो गया है। जो तीन विधायक गायब हैं उनके नाम बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग और रघुराज सिंह कंसाना है। चार विधायकों के वापस लौटने से कांग्रेस को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन ये सियासी संकट अभी टला नहीं है। उधर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच एक दूसरे पर आरोपों के तीर भी चल रहे हैं।
सवा साल बाद कमलनाथ सरकार सियासी उठापटक के बाद असंतोष समाप्त करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार कर सकती है। पांच मंत्रियों को हटाकर असंतुष्ट विधायकों को जगह दिए जाने की संभावना है। होली के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है, जिसमें दिग्गजों के कोटे के मंत्रियों की छंटनी कर सहयोगी दलों व निर्दलीय विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने के संकेत हैं। कुछ वरिष्ठ विधायकों को विस्तार में तवज्जो देकर असंतोष को नियंत्रित करने के प्रयास होंगे। मुख्यमंत्री निवास पर शाम से देर रात तक असंतुष्ट विधायकों व मंत्रियों की सीएम कमलनाथ के साथ हुई बैठक के बाद कुछ तस्वीर साफ भी होती नजर आई है। सूत्र बताते हैं कि बुधवार को हुए तेज घटनाक्रम से असंतुष्ट विधायकों को संतुष्ट करने के लिए शीघ्र मंत्रिमंडल विस्तार का विचार आया।
विधायकों की खरीद-फरोख्त के घटनाक्रम में जिन विधायकों के नाम चर्चा में आए थे, उनमें से वापस लौटे विधायकों के साथ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रियों की मौजूदगी में मैराथन मीटिंग की है। इसमें मंत्रियों और विधायकों ने भाजपा पर पलटवार की रणनीति पर गंभीर मंथन किया, लेकिन इसे बेहद गोपनीय रखा जा रहा है। बैठक में अब तक लापता कांग्रेस के तीन विधायकों बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग और रघुराज सिंह कंसाना को लेकर भी चिंता जताई गई। इस बैठक के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया व प्रभारी सचिव संजय कपूर भी मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस के विधायक खुद सरकार से परेशान हैं। सारा मामला उनके घर का है और वे हम पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नवदुनिया से कहा कि कांग्रेस के 15 विधायक उसके संपर्क में हैं। कांग्रेस विधायक काम नहीं करवा पा रहे हैं, इसलिए उनमें असंतोष व्याप्त है। हालांकि सियासतदार इसे माहौल बनाए रखने वाला बयान बता रहे हैं। हार्सट्रेडिंग के आरोप पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम लठ्ठा। भोपाल से लेकर दिल्ली तक मंगलवार रात से शुरू हुआ सियासी संग्राम अगले एक-दो दिन में और भी तेज होने के आसार हैं। भाजपा का कहना है कि असली खेल तो अब शुरू हुआ है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा माफियाओं के साथ मिलकर प्रदेश में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की लगातार असफल कोशिश कर रही है। भाजपा सरकार के 15 साल में हर तरह का माफिया प्रदेश में पनपा और जब इसके सफाए का अभियान चलाया जा रहा है तो यह उसे रास नहीं आ रहा है। विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का चुनाव हो या बजट, हर बार सदन में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। इस बार भी भाजपा के मंसूबे मुंगेरीलाल के सपने साबित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में लोकतंत्र व संवैधानिक मूल्यों की हत्या करने का काम किया है। उधर दिग्विजय सिंह ने दिल्ली में दावा किया कि कांग्रेस के पास 122 विधायकों का समर्थन है, जिनमें दो भाजपा के भी हैं।