November 23, 2024

लॉकडाउन में महिला मैकेनिक बनी कोरोना वारियर्स : गांव-गांव जाकर शांति सुधार रही हैंडपंप

सूरजरपुर।  छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में महामारी कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है।  कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया हुआ, जिस वजह से लोग अपने-अपने घरों में ही कैद हैं।  इसी बीच प्रतापपुर की शांति आयाम गांव-गांव जाकर हैंडपंप सुधारने का काम कर रही हैं।  वे चाहती है इस गर्मी और लॉकडाउन के दौरान कोई भी शख्स प्यासा न रहे, इसी जज्बे के साथ शांति अपने कारंवा की ओर रोज निकल पड़ती हैं। अब तक शांति कई हैंडपंप सुधार चुकी हैं।  उनके इस काम के प्रति जज्बे के लिए उन्हें सलाम है। 
शांति आयाम प्रतापपुर की पहली महिला मैकेनिक हैं, जो PHE विभाग में कार्यरत हैं और पिछले कई महीनों से ईमानदारी और लग्न के साथ ये काम कर रही हैं।  गोटगांव ग्राम पंचायत की शांति के पिता नरसिंह आयाम पेशे से किसान हैं।  शांति अपने चार भाई-बहनों में दूसरी हैं, जिन्होंने शासकीय कॉलेज प्रतापुर से MA इंगलिश के दौरान वॉड्रफनगर से 2017 में फिटर ट्रेड से ITI किया है। 


अपने बारे में बताते हुए शांति ने बताया कि वे लोगों को हैंडपंप सुधारते देखती थी।  हैंडपंप सुधरने के बाद स्थानीय लोगों के चेहरे पर एक सुकून की चमक रखती थी. उस समय शांति को PHE के बारे में मालूम नहीं था।  लेकिन जब वे ITI कर रही थी, तो उन्हें अपने शिक्षकों और कई लोगों से PHE की जानकारी मिली।  इस बीच साल 2018 के आखिरी में सूरजपुर जिले में महिला मैकेनिक भर्ती के लिए विज्ञापन आया तो शांति ने तुरंत इसके लिए आवेदन कर दिया। 


हालांकि उन दिनों कभी महिला मैकेनिक के बारे में सुनने को नहीं मिलता था इसलिए इस क्षेत्र को चुनना शांति को थोड़ा अजीब भी लग रहा था, लेकिन घरवालों का सहयोग मिला और वह चयनित भी हो गईं।  उन्होंने बताया कि जनवरी में ज्वाइनिंग के बाद करीब छह महीने की ट्रेनिंग ली और इसके बाद वह नियमित रूप से अपना काम कर रही हैं। 
शांति ने बताया कि विभाग ने लॉकडाउन के दौरान अभी काम करने के लिए गाड़ी उपलब्ध कराई है, लेकिन इससे पहले वे अपनी स्कूटी से आना-जाना करती थी।  उनकी स्कूटी में हैंडपंप मरम्मत के लिए आवश्यक टूल्स हमेशा होते हैं. उनके साथ एक मिस्त्री और होता है, जहां भी इनका काम होता है, दोनों मिलकर पूरा कर देते हैं।  पाइप खराब होने या कम पड़ने की स्थिति में गांव के सरपंच उनके ऑफिस से उन्हें पाइप लाकर दे देते हैं जिस कारण कोई दिक्कत भी नहीं आती हैं। 

शांति ने अपने काम के बारे में बताते हुए कहा कि एक महिला होने के लिए यह काम थोड़ा चैलेंजिंग है क्योंकि लंबा सफर करने के साथ कभी-कभी आने में देर भी हो जाती है।  कई जगह ग्रामीणों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है लेकिन अब तक सभी चीजों को सामना आराम से करते हुए सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती हैं।  शांति ने बताया कि सामान्य दिनों की तुलना में लॉकडाउन के दौरान हैंडपंप सुधारना ज्यादा राहत भरा है क्योंकि लोगों को घर पर ही रहना है और उनकी कोशिश है कि किसी को पानी के लिए पास में हैंडपंप होते हुए भी दूर न जाना पड़े। उन्होंने बताया कि उन्हें उनके इस काम से कोई शिकायत नहीं है बल्कि उन्हें इसमें मजा आता है और सुकुन भी मिलता है, क्योंकि उनके इस काम के बाद लोगों को पानी मिल जाता है. और कोई प्यासा भी नहीं रहता। 

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