लोकवाणी : छत्तीसगढ़ में महिलाओं को अधिकार देकर स्वावलंबनऔर रोजगार से जोड़ने की रणनीति
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपनी मासिक रेडियोवार्ता ‘लोकवाणी’ की 8वीं कड़ी में ’महिलाओं को बराबरी के अवसर’ विषय पर प्रदेशवासियों के साथ विचार साझा किए। जिसे लोगों ने बड़ी उत्सुकता के साथ सुना। मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में कहा कि छत्तीसगढ़ में स्त्री-पुरूष अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर है और इसमें लगातार सुधार हो रहा है। आदिवासी अंचलों में तो महिलाओं की संख्या पुरूषों से भी अधिक है। जो देश और दुनिया के लिए एक उदाहरण है। छत्तीसगढ़ में महिला सम्मान को उनके अधिकारों और स्वावलंबन से जोड़ने की रणनीति अपनाई गई है। उन्होंने महिलाओं को आर्थिक मोर्चे पर सशक्त बनाने के लिए स्वावलंबन और रोजगार के उपायों, महिलाओं को कुपोषण से मुक्ति दिलाने, महिलाओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। लोकवाणी में मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस से उत्पन्न वातावरण का जिक्र करते हुए कहा कि इन दिनों ‘कोरोना वायरस’ की बहुत चर्चा है। आप डरें नहीं। बचाव के उपायों को समझें और अपनाएं। सरकार ने उपचार की पूरी तैयारी कर रखी है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
और होली पर्व की शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी के माध्यम से प्रदेशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और रंगो के त्यौहार होली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि दो दिन बाद होली है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। साथ ही रंगों में रंग मिलाने का अर्थात हर इंसान के बीच समन्वय, सद्भाव और सौहार्द्र का त्यौहार है। आप सबको होली की शुभकामनाएं। श्री बघेल ने 20 मार्च को ‘भक्त माता कर्मा जयंती’ तथा वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी का बलिदान दिवस है का उल्लेख करते हुए कहा कि एक ओर त्याग, भक्ति और अध्यात्म का शिखर तो दूसरी ओर पराक्रम और सर्वोच्च बलिदान। मातृ-शक्ति के इन दोनों स्वरूपों को नमन। उन्होंने नवरात्र और चौट्रीचंड पर्व की बधाई भी प्रदेशवासियों को दी।
मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता की शुरूआत छत्तीसगढ़ी भाषा में की। श्री बघेल ने कहा कि 8 मार्च ल संयुक्त राष्ट्र संघ ह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित करे हे। बछर म एक दिन महिला दिवस मनाये के ये मतलब नो हे के हमन ल महिला मन के संसो सिरिफ एक दिन करे बर हे। ये दिन के मतलब हे जम्मो संसो ल सकेल के आत्मचिंतन करना अउ नवा रद्दा, नवा सुविधा बर विचार करना हे। ये अवसर नवा सोच-बिचार के घलो हे।
मुख्यमंत्री ने मातृ शक्ति को किया नमन
मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ-शक्ति के बिना इस संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। हमारे छत्तीसगढ़ में तो देवी को अपने हर स्वरूप में मां माना जाता है। दन्तेवाड़ा में मां दन्तेश्वरी, डोंगरगढ़ में माँ बम्लेश्वरी, रतनपुर में माँ महामाया, चन्द्रपुर में माँ चन्द्रहासिनी के शक्तिपीठ और हर गांव-हर शहर में कोई न कोई लोक आस्था केन्द्र है। जिनके आशीर्वाद से हम तरक्की करते हैं। उन्होंने कहा कि रायगढ़ एवं बीजापुर जिले में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान’ के तहत सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं। हमारे यहाँ बहुत से समाजों में मातृ-सŸाा की प्रधानता है, लेकिन इन सबके बावजूद, महिला और पुरूषों में बराबरी का सवाल सामयिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं के आगे बढ़ने के रास्ते में जो बाधाएँ हैं, उनके ऐतिहासिक, परम्परागत, सामाजिक, भौगोलिक कारण और प्रतिगामी मनोवृति भी है। आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया था, जो ऐतिहासिक और परम्परागत कारण रहे हैं, उसका समाधान भारत की आजादी और संविधान निर्माण के साथ हो गया था। लेकिन मनोवृŸिा बदलने के लिए सामाजिक जागरण की जरूरत पड़ती है। विगत 7 दशकों में महिलाओं को अधिकार देकर बहुत बड़े अंतर को पाट दिया है। विगत सवा साल से छŸाीसगढ़ सरकार ने महिलाओं के सम्मान को अधिकार देकर मजबूत किया है। महिला सम्मान को उनके अधिकारों और स्वावलंबन से जोड़ने की रणनीति अपनाई गई है। जहाँ-जहाँ महिलाओं को सुविधाएं दी हैं, वहाँ उन्होंने आगे बढ़कर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियाँ उठाई हैं और सफलता की नई-नई कहानियाँ लिख रही हैं।
महिला समूहों द्वारा निर्मित सामग्रियों को शासकीय खरीदी में पूरी प्राथमिकता
लोकवाणी में सूरजपुर जिले की तीन महिलाओं ने स्वावलंबन और रोजगार के लिए राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए अवसरों से आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में हासिल की गई सफलता की कहानियां बताई। मुख्यमंत्री ने इन महिलाओं के हौसले और दृढ़ निश्चय की सराहना करते हुए कहा कि अन्य जिलों में स्थानीय स्तर पर महिला स्व-सहायता समूह, वो चाहे गौठान से जुड़े हों या किसी अन्य कार्य से, उनके द्वारा निर्मित सामग्री के विपणन के लिए जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। सरकार की विभिन्न संस्थाओं, स्कूल, छात्रावास या अन्य शासकीय विभागों में जरूरत के अनुसार खरीदी में ऐसे समूहों को पूरी प्राथमिकता मिलेगी। ‘‘एक दुकान-सब्बो सामान’’ के नवाचार से ग्रामीण महिलाओं को समृद्धि और खुशहाली का नया रास्ता मिला है। सूरजपुर तो एक उदाहरण है। मैं पूरे प्रदेश में कार्यरत हजारों महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी लाखों महिलाओं को सेल्यूट करता हूं। महिलाएं कारोबार के साथ समाज सुधार तक में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
प्रदेश में 30 लाख से अधिक हितग्राहियों को मिल रहा पोषण योजनाओं का लाभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि नारी का जीवन अपने परिवार की सारी आवश्यकताओं के लिए समर्पित रहता है। नारी को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है, यदि माँ कुपोषित, एनीमिया की शिकार रहेगी तो उनके शिशु की सेहत कैसे अच्छी रहेगी और इस तरह तो पूरी पीढ़ी जन्मजात कमजोर हो जाएगी। इसलिए हमने कुपोषण को सबसे बड़ी हिंसा, नक्सलवादी और आतंकवादी हमले से ज्यादा नुकसानदायक माना है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान 2 अक्टूबर 2019 अर्थात गांधी जयंती के दिन से प्रदेश के सभी जिलों में शुरू किया गया। इसके अन्तर्गत जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को तथा 15 से 49 वर्ष तक की महिलाओं को खून की कमी और कुपोषण की समस्या से उबारने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में साढे़ पाँच लाख हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार, गर्म भोजन दिया जा रहा है। इसके अलावा पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, महतारी जतन योजना, पोषण आहार योजना का संचालन भी किया जा रहा है। इस तरह 30 लाख से अधिक हितग्राहियों को विभिन्न पोषण योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसमें गर्भवती भी हैं, शिशुवती भी हैं तथा अन्य आवश्यकताओं वाली बहनें भी हैं।
दो साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षाकर्मी होंगे नियमित
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षाकर्मियों के नियमितिकरण के मामले को राज्य सरकार ने पूरी संवेदनशीलता से, पूरी जिम्मेदारी से देखा है, उनकी सारी समस्याओं का हल किया है। एकमात्र सवाल और मांग यह रह गयी थी कि 2 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षाकर्मी को भी नियमित कर दिया जाए। अभी हमने वर्ष 2020-21 का बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया है, इस बजट में यह मांग भी पूरी कर दी गई है। विधानसभा से बजट पारित होते ही इसकी प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी, इस निर्णय का ज्यादातर लाभ महिलाओं को ही मिलेगा।
विभागीय भर्तियों के खुले दरवाजे
श्री बघेल ने प्रदेश में रोजगार के उपलब्ध अवसरों की जानकारी देते हुए कहा कि पी.एस.सी., व्यापम, विभागीय परीक्षाओं के माध्यम से होने वाली भर्तियों के दरवाजे खोल दिए गए हैं। शासकीय सेवाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत पद आरक्षित किए गए हैं। वहीं आयु सीमा में भी 10 वर्ष की विशेष छूट दी गई है। इस तरह सभी नियमों का पालन करते हुए जितने पुराने रिक्त पद थे, उन सब पर भर्ती हुई है और हो रही है। नई प्रशासनिक इकाइयों, नए कार्यालयों, नए स्कूल-कॉलेजों के लिए भी लगातार निर्णय लिए जा रहे हैं और मुझे खुशी है कि नियमित भर्ती प्रक्रिया में भी बड़ी संख्या मंे बेटियाँ और बहनें परीक्षाओं के माध्यम से चयनित हो रही हैं।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए 4 हजार 255 सार्वजनिक स्थानों पर
लगाए गए सी.सी.टी.वी. कैमरे
मुख्यमंत्री ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने इस संबंध में लोकवाणी में महासमुन्द जिले की उत्तरा विदानी द्वारा किए गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि महासमुन्द जिले में हर थाने में महिला डेस्क स्थापित है। इसके अलावा 1091 महिला हेल्प लाइन नम्बर भी है। महिला हेल्प लाइन-181, सखी वन स्टॉप सेन्टर, महिला-पुलिस स्वयंसेविका योजना, महिला जागृति शिविर, स्व-आधार योजना, उज्ज्वला गृह योजना, कामकाजी महिला हॉस्टल योजना, महिला शक्तिकेन्द्र योजना आदि सुरक्षा तथा सहयोग के लिए काम कर रहीं हैं। प्रदेश के 374 थानों में महिला डेस्क स्थापित की जा चुकी हैं तथा 8 जिलों में महिला विरूद्ध अपराध विवेचना इकाई भी संचालित की जा रही है। 4 हजार 255 सार्वजनिक स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे स्थापित किए गए हैं तथा स्थानीय स्तर पर संगठनों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे भी अपने स्तर पर सी.सी.टी.वी. कैमरे सार्वजनिक स्थानों पर लगाएं। महिलाओं से संबंधित अपराधों की विवेचना के लिए 6 जिलों में आई.यू.सी.ए.डब्ल्यू. का गठन किया गया है। चार जिलों में महिला थाने स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त पारिवारिक विवाद एवं महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों के लिए महिला परामर्श केन्द्र, महिला पुलिस वालंटीयर्स तथा बालिका आश्रम व छात्रावास में सुरक्षा हेतु महिला होमगार्ड की तैनाती की गई है। अपराध से पीड़ित महिलाओं के लिए क्षतिपूर्ति राशि का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी ही नहीं सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने माताओं-बहनों से अपील करते हुए कहा कि वे इस संबंध में स्वयं भी जागरूक हों और अन्य लोगों को इसके बारे में बताएं।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में जल्द उपलब्ध होंगी सारी सेवाएं
लोकवाणी में नवगठित गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के पेण्ड्रा के वार्ड-4 की पार्षद विनती ने विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान अपने प्रश्न के माध्यम से आकृष्ट किया। मुख्यमंत्री ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि मुझे नए जिले की आवाज सुनकर बहुत खुशी हुई। आपने जिन समस्याओं का जिक्र किया है, उनके निराकरण के लिए ही तो नया जिला बनाया गया है। अब गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को जिले के रूप में नए पंख मिल गए हैं। हम पूरी तैयारी कर रहे हैं कि जल्दी से जल्दी यहाँ सारी प्रशासनिक सुविधाएं, सारी सेवाएं काम करने लगें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि महिला समूह बड़ा उद्योग लगाना चाहते हैं तो उनके लिए हमारी सरकार ने बहुत सी सुविधाएं दी हैं। हर विभाग में उन्हें प्राथमिकता और सुगमता से काम करने की सुविधा है। बहुत से नियम शिथिल किए गए हैं। आपको हमारी नई उद्योग नीति के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। वहां आपको वह सब मिलेगा, जो आपके सपने साकार कर सके।