November 28, 2024

सरकार का 2 साल का जश्न: चंदखुरी में राममय हुई भूपेश कैबिनेट

रायपुर।  मुख्यमंत्री निवास में कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सभी मंत्री एक बस में सवार होकर चंदखुरी रवाना हुए. चंदखुरी में माता कौशल्या का प्राचीन मंदिर है. बस में सीएम बघेल समेत सभी मंत्रियों ने भगवान राम, माता कौशल्या और हनुमान जी की जय के नारे लगाए. 

मुख्यमंत्री सहित उनकी पूरी कैबिनेट चंदखुरी में आयोजित राम वनगमन पथ पर्यटन परिपथ रथयात्रा और बाइक रैली के समापन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची. यह रथयात्रा और बाइक रैली सुकमा जिले के रामाराम और कोरिया जिले के सीतामढ़ी-हरचौका से 14 दिसंबर को एक साथ शुरू हुई थी.

पर्यटन परिपथ रथयात्रा के दौरान राम के वन गमन पथ से जुड़े स्थलों की पवित्र मिट्‌टी इकट्ठा की गई है. 19 जिलों से लाई गई इस मिट्टी को कौशल्या माता के मंदिर निर्माण के लिए दिया गया. 

चंदखुरी पहुंचकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवनिर्मित गोठान का निरीक्षण किया. उसके बाद वे राम वन गमन पर्यटन परिपथ रथयात्रा के समापन समारोह में शामिल हुए. छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के इस आयोजन में सभी मंत्री, रायपुर जिले के सभी सांसद-विधायकों और पंचायती राज के जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए. 

कार्यक्रम के कुछ देर बाद ही स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मंच छोड़ दिया. टीएस सिंहदेव के कार्यक्रम से दूरी बनाने या मंच छोड़ने की वजह साफ नहीं हो पाई है. हालांकि ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले और स्वागत-सत्कार में बेरूखी के अलावा सियासी हलकों में कई कयास जरूर लगाए जा रहे हैं.

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पूर्व की सरकार ने छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित माता कौशल्या के मंदिर पर ध्यान नहीं दिया. विपक्ष कह रहा है कि प्रदेश में डेवलपमेंट नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि कॉन्क्रीट का डेवलपमेंट करना डेवलपमेंट नहीं है. हमने तीज-त्योहार, स्थानीय धार्मिक स्थलों का विकास किया. विपक्ष पूछ रहा है ‘राम किसके है’. हम राम के नाम पर रोटी नहीं सेकते रहे हैं. हमारे यहां कौशल्या के राम हैं. 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार के दो साल पूरे होने पर हम माता कौशल्या की गोद में हैं. माता कौशल्या किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं हुईं. वनवास में भगवान राम कहीं भी जा सकते थे, लेकिन छत्तीसगढ़ आए,क्योंकि बच्चा मां-बाप से नाराज होकर अपने ननिहाल ही जाता है. छत्तीसगढ़ के लोगों के चरित्र में भी वही गुण दिखते हैं. छत्तीसगढ़ को विश्व पटल पर लाने का हमारा प्रयास है. हमारी पहचान या तो भिलाई स्टील प्लांट थी, या नक्सली राज्य की, लेकिन दो सालों में प्रदेश की पहचान किसान के प्रदेश के तौर पर बनी है.

हमारे राम तो जन-जन में व्याप्त हैं. सतयुग में कालनेमी ने भी सोने के हिरण के लिए राम का नाम लिया था. अब जिनको वोट लेना है, वो भी राम का नाम लेते हैं.

error: Content is protected !!
Exit mobile version