November 15, 2024

कनाडा से वापस लौटेंगे 700 भारतीय छात्र, जांच के दौरान पाए गए नकली डॉक्यूमेंट्स

नईदिल्ली।भारत से बड़ी संख्या में छात्र विदेशों में पढ़ाई करने जाते हैं.अमेरिका, कनाडा, रूस, ब्रिटेन सहित दुनिया के तमाम देशों की मशहूर यूनिवर्सिटीज में भारतीय स्टूडेंट्स खूब मिलते हैं. ये लोग स्टडी वीजा लेकर यहां जाते हैं. कनाडा से 700 भारतीय छात्रों को बाहर निकाला जा रहा है. जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने शैक्षणिक संस्थान में जमा कराए उनके डॉक्यूमेंट्स नकली पाए. जानकारों ने बताया कि इनमें से अधिकांश छात्रों ने पहले ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, वर्क परमिट प्राप्त कर लिया है और कार्य अनुभव भी प्राप्त कर लिया है. जब उन्होंने पीआर ( स्थाई निवास) के लिए आवेदन किया तभी वे मुश्किल में पड़ गए.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन 700 छात्रों ने बृजेश मिश्रा की अध्यक्षता वाली शिक्षा प्रवासन सेवाओं (जालंधर में स्थित) के माध्यम से अध्ययन वीजा लिए आवेदन किया था. इन्होंने प्रमुख संस्थान हंबर कॉलेज में प्रवेश शुल्क सहित सभी खर्चों के लिए प्रति छात्र 16 लाख रुपये से अधिक का शुल्क लिया था. इसमें टिकट और सेक्युरिटी का पैसा शामिल नहीं था. ये छात्र 2018-19 में पढ़ाई के लिए कनाडा गए थे. धोखाधड़ी तब सामने आई जब इन छात्रों ने कनाडा में स्थायी निवास (Permanent Residence) के लिए आवेदन किया. इसके बाद इनके दस्तावेजों की जांच हुई. सीबीएसए ने उन दस्तावेजों की जांच की, जिसके आधार पर छात्रों को वीजा जारी किया गया था. छात्रों के डॉक्यूमेंट्स फर्जी पाए गए.

पहली बार सामने आया ऐसा फ्रॉड
यह एजुकेशन फ्रॉड अपनी तरह का अनूठा है जो पहली बार कनाडा में सामने आया. जानकारों ने कहा कि इतनी बड़ी धोखाधड़ी कनाडा में बड़ी संख्या में आवेदन करने वालों का नतीजा है. जालंधर के एक सलाहकार, जो पिछले 10 वर्षों से छात्रों को कनाडा भेज रहे हैं, ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस तरह की धोखाधड़ी में कई कारक शामिल होते हैं. कॉलेजों के जाली प्रस्ताव पत्र प्राप्त करने से लेकर छात्रों को वीजा मांगने के लिए जाली शुल्क भुगतान रसीदें प्रदान करना. क्योंकि कॉलेजों को फीस जमा करने के बाद ही वीजा जारी किया जाता है.

छात्रों की भारी भीड़ के कारण एजेंटों ने की धोकेबाजी
एक और एजेंट ने बताया कि इस मामले में अधिकांश छात्रों को ऐसे कॉलेजों के प्रस्ताव पत्र प्रदान किए गए जहां वे कनाडा में आने के बाद अंततः अध्ययन नहीं कर पाए. उन्हें या तो दूसरे कॉलेजों में ट्रांसफर कर दिया गया था या अगले सेमेस्टर के लिए इंतजार करने के लिए कहा गया था. कनाडा में भारतीय छात्रों की भारी भीड़ और छात्रों की ऐसी हताशा को कनाडा स्थित एक निजी कॉलेज के साथ मिलकर कुछ धोखेबाज एजेंटों द्वारा भुनाया जा रहा है.

मामले की होनी चाहिए जांच- एजेंट
कई छात्रों ने कहा कि उनकी फीस उक्त एजेंट द्वारा उन्हें वापस कर दी गई थी जिसके कारण उन्होंने कुछ अन्य कॉलेजों में प्रवेश लिया लेकिन उन्होंने कनाडा सरकार को इसके बारे में अपडेट नहीं किया और शुल्क (एजेंट द्वारा) लौटाने से एजेंट के बारे में कम संदेह हुआ. एक अन्य सलाहकार ने बताया कि इस मामले में उन कॉलेजों की भूमिका की जांच की जानी चाहिए, जिन्होंने ‘प्रवेश प्रस्ताव पत्र’ जारी किए थे, यानी कि क्या उन्होंने (कॉलेजों ने) वास्तव में उन्हें जारी किया था या वे एजेंट द्वारा जाली थे. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कॉलेजों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि छात्र ज्यादातर ऐसी चीजों से अनजान होते हैं.

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