सुकमा में रहस्यमयी बीमारी से 8 लोगों की मौत, पेड़ के नीचे हो रहा मरीजों का इलाज

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लॉक एक गांव में 8 लोगों की मौत हो गई है. लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है, कि इन लोगों की मौत किस बीमारी के कारण हुई है. पिछले 3 दिनों से स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करने के लिए गांव पहुंची है. मृतकों में सोनी सोढ़ी, मुचाकी सुक्का, मुचाकी मंगो, माड़वी हड़मा, मुचाकी बुधरा, मुचाकी वेल्ला और दो बच्चे मुचाकी मासे, मुचाकी देवे शामिल हैं.
गांव में 8 लोगों की मौत, पेड़ के नीचे हो रहा मरीजों का इलाज
गांव के लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग उन्हें बेहतर इलाज नहीं दे पा रहा है. गांव में स्वास्थ्य विभाग के लोग केवल मलेरिया जांच कर दवा देकर चले जाते हैं. लगभग 600 के आबादी वाले गांव में 80 लोगों का चैकअप किया गया हैं, लेकिन RMA राजेश कुमार सोनी ने बिना आंकड़ा का हवाला देते हुए 80 प्रतिशत लोगों का चेकअप होने की बात कहीं लेकिन, RHOF नर्स ने जानकारी दी कि अबतक 80 लोगों का जांच हुआ हैं. जिसमें 9 मरेलिया पॉजिटिव मिले हैं. करीब आधा दर्जन से अधिक लोग अभी भी अज्ञात बीमारी से बीमार पड़े हुए हैं.
बीमारी का नहीं चला पता
बीमारी क्या हैं इसका पता नहीं चल पाया हैं. धनिकोड़ता गांव में 90% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं तो वही लगभग उतने ही माताएं एनीमिया की शिकार हैं. अस्पताल नहीं होने के कारण इमली पेड़ के नीचे ही अस्पताल लगाकर मरीजों की जांच का ग्लुकोज़ ड्रिप लगाया जा रहा हैं. यह गांव पहलों नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था लेकिन समय के साथ यहां बदलाव हुआ नक्सलवाद का दंश खत्म हुआ लेकिन लगे सीआरपीएफ कैंप बंद हो गए लेकिन मूलभूत सुविधाएं पहुंच नहीं पाई. गांव में अस्पताल नहीं होने के कारण 4 km दूर जाना पड़ता हैं या सीधे छिंदगढ़, सुकमा में ईलाज करते हैं. सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलने के बावजूद छिंदगढ़ ब्लॉक के सुदूर इलाकों में ग्रामीण योजनाओं से वंचित हैं. गांव में किसी के पास भी आयुष्मान कार्ड है. गांव में स्वच्छता के साथ-साथ जागरूकता की कमी भी देखी गई है. गांव में आज भी वड्डे यानी सिरहा गुनिया से झाड़ फूंक करवाया जाता हैं.