बाबा, बीजेपी और ऑपरेशन लोटस : जानें, चुनाव से महज चार महीने पहले टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने के क्या हैं मायने
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 से पहले छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बयान दिया था कि वो अपने राजनीति भविष्य के बारे में फैसला लेंगे। अपनी नाराजगी को उन्होंने पहले ही पार्टी और संगठन को जता दिया था। ऐसे में छत्तीसगढ की सियासत में कयास लगाया जाने लगा कि बाबा बीजेपी में प्रवेश कर सकते हैं। हाल ही में बाबा ने कथित ऑपरेशन लोटस के बारे में मीडिया से चर्चा में कहा था कि बीजेपी ने उन्हें भाजपा में प्रवेश के लिए ऑफर दिया था पर उन्होंने इसे ठुकरा दिया। बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी उन्हें दिल्ली में ऑफर दिया था।
ऐसे में ये आशंका जताई जा रही थी कि सिंहदेव नाराज हैं। कही 2023 में कांग्रेस का गणित न बिगाड़ दें। उनकी इस नाराजगी से साल 2023 के चुनाव में कांग्रेस को कहीं नुकसान न उठाना पड़े। सिंहदेव सरगुजा संभाग समेत प्रदेश की सियासत में गहरी पैठ रखते हैं। इसे कांग्रेस समेत अन्य पार्टियां बखूबी जानती और समझती हैं। इस तरह विधानसभा चुनाव 2023 से महज तीन से चार महीने पहले कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें डिप्टी सीएम का पद देकर एक प्रकार से पार्टी को नुकसान से बचाने की कवायद की है। बहरहाल, कांग्रेस की इस नई कवायद या व्यवस्था से छत्तीसगढ़ कांग्रेस को क्या लाभ मिलेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
छतीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास में पहली बार उप मुख्यमंत्री
देश के राजनीतिक इतिहास में कई राज्यों में उप मुख्यमंत्री हैं और वर्तमान में भी कहीं एक तो कहीं दो उप मुख्यमंत्री हैं पर छत्तिसगढ़ के इतिहास में पहली बार उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। हालांकि 2018 के विधनसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में पहली बार 68 सीट जीती थीं। उस समय तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू और सिंहदेव दिल्ली गए थे। सीएम की दौड़ में तीनों शामिल थे। लेकिन भूपेश बघेल की आक्रामक छवि और अन्य राजनीतिक समीकरणों से उन्हें सीएम बनाया गया। ताम्रध्वज साहू को गृहमंत्री और सिंहदेव को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। इस दौरान ढाई-ढाई साल के सीएम का मुद्दा भी जोर पकड़ा था जिसे बाबा गाहे बगाहे कई मौकों पर उठाते रहे हैं। सीएम पद को लेकर कई बार पार्टी हाईकमान से अपनी नाराजगी जता चुके हैं। यहां तक कि सीएम भूपेश से भी उनकी कई मौकों पर सियासी नाराजगी और लड़ाई दिख चुकी है।
हाल ही में सिंहदेव ने कहा था कि “मैं चुनाव से पहले अपने भविष्य के बारे में फैसला लूंगा”। इससे छत्तीसगढ़ की सियासत एक बार फिर से गर्म हो गई थी। टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ की राजनीति में बाबा कहा जाता है। बाबा का यह बयान कहीं न कहीं नाराजगी की ओर इशारा कर रहा था। उस समय छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रदेश में ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर सिंहदेव नाराज हैं। बाबा के पास राज्य पंचायत मंत्री का भी पद था, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। छतीसगढ की सियासत में हमेशा चर्चा में रहने वाले सिंहदेव कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस मेरे खून में है, मैं कभी कांग्रेस नहीं छोडूंगा।
सरगुजा राजघराने की कई पीढ़ियां कांग्रेस के साथ जुड़ी रही हैं। बाबा प्रदेश के एक सबसे अमीर विधायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में टीएस बाबा के कंधों पर कांग्रेस ने अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया था जिसमें सभी वर्गो का खयाल रखा गया था। 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का बनवास खत्म हुआ था और बीजेपी महज 15 सीट पर ही सिमट गई थी। 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी बीजेपी महज 15 सीट जीत पाई थी। बीजेपी की यह बहुत ही शर्मनाक हार थी।
राजघराने से ताल्लुक
सरगुजा राजघराना छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के साथ है। आजादी के समय से ही सरगुजा राजघराना कांग्रेस पार्टी के साथ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सरगुजा राजघराने का एक व्यक्ति शामिल हुआ करता था। इतना ही नहीं टीएस सिंहदेव के पिता मदनेश्वरशरण सिंहदेव मध्यप्रदेश शासन में चीफ सेक्रेटरी हुआ करते थे। बाबा साल 2008 से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
अंबिकापुर से लगातार तीसरी बार एमएलए
सिंहदेव सरगुजा जिले की अंबिकापुर विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक हैं। साल 2013 में वो छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर विधायक
टीएस बाबा छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर विधायक हैं। 2008 से लगातार अंबिकापुर से विधायक हैं। उनकी संपत्ति करीब 500 करोड़ बताई जाती है।