भोरमदेव : कोरोना ने तोड़ी परंपरा, इस साल नहीं होगी पदयात्रा, न होगा भंडारा
कवर्धा। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कवर्धा में 11 साल की परंपरा टूटने वाली है। भोरमदेव पदयात्रा इस साल आयोजित नहीं होगी। जिला प्रशासन ने पदयात्रा को इस साल स्थगित करने का फैसला लिया है। सावन में इसका आयोजन होता था।
कवर्धा जिले में स्थित छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध प्राचीन भोरमदेव मंदिर में इस वर्ष पदयात्रा कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है। इसका प्रमुख कारण बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले हैं। कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की पहल से ही आदेश जारी कर सामूहिक और धार्मिक आयोजन पर रोक लगा रखी है। इस कारण भोरमदेव पदयात्रा इस साल नहीं की जाएगी।
उन्होंने बताया कि आयोजन को लेकर लगातार जनप्रतिनिधियों ने भी मांग की है लेकिन केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार पदयात्रा करना संभव नहीं है. ऐसे में लगातार 11 वर्षों से हो रही भोरमदेव पदयात्रा की परंपरा इस साल टूट जाएगी. इस पदयात्रा को वर्ष 2008 में तत्कालीन कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने शुरू किया था, जो पिछले 11 साल से चले आ रहा था. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इस पदयात्रा को स्थगित कर दिया गया है।
साथ ही भोरमदेव मंदिर में कांवड़ियों के लिए भंडारा प्रसाद का आयोजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। बता दें कि लंबे अरसे के बाद इस साल सावन जुलाई महीने में पड़ रहा है। इस जुलाई महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं. वहीं सावन सोमवार को शुरू होगा और सोमवार को ही समाप्त होगा। यह भगवान शिव की पूजा-पाठ के हिसाब से शुभ संकेत देने वाले हैं. लेकिन दूसरी ओर कांवरियों को भोरमदेव मंदिर, पंचमुखी, बूढ़ा महादेव, और डूंगरिया जलेश्वर, महादेव घाट में जल अभिषेक का मौका नहीं मिलेगा।
जिले में धारा 144 के नियम 15 अगस्त तक लागू है. इस दौरान 5 से अधिक लोग एक जगह पर एकत्रित नहीं हो सकते. भक्त केवल एक-एक कर सावन सोमवार के दिन केवल दर्शन करने शिवालय जा सकेंगे. जिनमें उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. साथ ही गर्भगृह में भी प्रवेश नहीं मिलेगा. दूर से ही दर्शन करने का मौका दिया जाएगा. इसके अलावा किसी भी तरह के चढ़ावे की अनुमति नहीं होगी।