September 30, 2024

टैलेंट को बर्बाद नहीं होने दे सकते… ऑल द बेस्ट, सुप्रीम कोर्ट ने दलित स्टूडेंट को IIT में एडमिशन का दिया निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए आईआईटी धनबाद को एक दलित छात्र को एडमिशन देने का निर्देश दिया। यह छात्र फीस जमा करने की समय सीमा चूक जाने के कारण अपनी सीट खो बैठा था। 17,500 रुपये… यह वह फीस थी जो एक दलित छात्र को आईआईटी धनबाद में अपना एडमिशन सुरक्षित करने के लिए देनी थी। उत्तर प्रदेश के छात्र के पास फीस जमा करने के लिए चार दिन थे। छात्र के पिता, जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं, ने अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश की, लेकिन फीस जमा करने की समयसीमा चूक गए। छात्र का आईआईटी जाने के सपने पर ब्रेक लग गया।

इसके बाद छात्र के पिता इस लड़ाई को अदालत में ले गए। तीन महीने तक, पिता ने एससी/एसटी आयोग, झारखंड और मद्रास उच्च न्यायालयों के चक्कर काटे। अंत में, जब कुछ भी काम नहीं आया, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आईआईटी को छात्र को प्रवेश देने का आदेश दिया।

हम ऐसे युवा प्रतिभाशाली लड़के को जाने नहीं दे सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता। वह झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण के पास गया। फिर चेन्नई विधिक सेवा प्राधिकरण के पास गया और फिर उसे हाई कोर्ट भेज दिया गया। वह एक दलित लड़का है जिसे दर-दर भटकना पड़ रहा है।
डीवाई चंद्रचूड़, सीजेआई, फैसला सुनाते हुए

प्रतिशाली छात्र को वंचित नहीं कर सकते
बेंच ने अपने आदेश में कहा, हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता जैसे प्रतिभावान छात्र, जो वंचित समूह से आते हैं और जिन्होंने प्रवेश पाने के लिए सब कुछ किया, उन्हें वंचित नहीं किया जाना चाहिए… हम निर्देश देते हैं कि उम्मीदवार को आईआईटी धनबाद में प्रवेश दिया जाए और उसे उसी बैच में रहने दिया जाए जिसमें उसे फीस का भुगतान करने पर प्रवेश दिया जाता।’

कोर्ट ने किया अनुच्छेद 142 का प्रयोग
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए आईआईटी धनबाद को अतुल कुमार को अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का निर्देश दिया। संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है।

ऑल द बेस्ट…अच्छा करो
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव से आए 18 वर्षीय छात्र से कहा, “ऑल द बेस्ट। अच्छा करो। राहत महसूस कर रहे अतुल ने कहा कि पटरी से उतरी ट्रेन अब पटरी पर आ गई है। मुझे सीट मुहैया करा दी गई है। मैं बहुत खुश हूं। अदालत ने कहा कि मेरी सीट केवल वित्तीय समस्या के कारण नहीं छीनी जा सकती। अतुल ने कहा कि उसे शीर्ष अदालत से मदद मिलने की उम्मीद है।

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