केंद्र सरकार 10-20% आयातित कोयला मिलाने को कह रही है, यह 4 गुना है महंगा : भूपेश बघेल
०० मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सिंधिया जैसे लोगों की बातों का जवाब नहीं देते
रायपुर| मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आशंका जताई है कि केंद्र सरकार की कोयला आयात (IMPORT) नीति से बिजली महंगी हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा, देश को जितने कोयले की जरूरत है उतना उत्पादन हो नहीं रहा है। इसकी वजह से केंद्र सरकार दबाव डाल रही है कि विदेश से आए कोयले का 10-20% अनिवार्य रूप से देसी कोयले में मिलाना होगा। यह स्थानीय कोयले की तुलना में यह महंगा होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भाजपा सरकार की कोयला नीति विफल रही है। इन लोगों ने राज्य सरकारों को आवंटित कैप्टिव माइंस को निरस्त किया। उसके बाद उसकी नीलामी की। नीलामी में किसी ने भाग नहीं लिया। उसके बाद स्थिति ये है कि इन लोगों ने न राज्य सरकारों को ठीक से खदान आवंटित की और न ही कैप्टिव कोल यूजर को। आज पावर प्लांट के अलावा दूसरे प्लांट को जो कोयले की आवश्यकता है उसकी पूर्ति सभी जगह कटौती कर दी गई है अथवा बंद हो गई है। औद्योगिक गतिविधियों में निश्चित रूप से इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में कोयले की जितनी जरूरत है उतना उत्पादन नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव बना रही है कि विदेश से आए कोयले का 10 या 20% अनिवार्य रूप से देसी कोयले में मिलाना होगा। देश का कोयला तीन हजार से चार हजार रुपया प्रति टन मिलता है। विदेश से जो कोयला आने वाला है वह 15 हजार से 20 हजार रुपए प्रति टन है। इतना भार राज्य सरकारों के बिजली बोर्ड पर आएगा। इसका सीधा सा मतलब है कि उत्पादन महंगा होगा। फिर बिजली भी महंगी होगी। अभी विदेशी कोयले के आयात और खपाने के लिए राज्यों पर दबाव बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कोयले की स्थिति ठीक नहीं है। पिछली बार तो जैसे-तैसे हालात संभल गए। अब जो स्थिति है वह भयावह हाेने वाली है। बहुत सारे राज्यों में तीन दिन-चार दिन का कोयला है। किसी-किसी राज्य में तो डेढ़ दिन का कोयला ही बचा है।केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के संबंध में पूछे एक सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, वे सिंधिया जैसे लोगों की बातों का जवाब नहीं देते। जो लोग कुर्सी के लिए पार्टी छोड़ें, जिसकी खुद की कोई आइडियोलॉजी नहीं है,उसके बारे में क्या बात करें।