December 12, 2024

CG : सरकार ने ACB और EOW का बढ़ाया दायरा, जुआ एक्ट के तहत मिला जांच और कार्रवाई का अधिकार

VISHNU DEV SAI

रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में अब एसीबी और ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) जुआ एक्ट के तहत जांच और कार्रवाई कर सकती है. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार (CG Government) ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Vishnu Deo Sai) के निर्देश में जुआ-सट्टा और विशेषकर ऑनलाइन गैम्बलिंग पर कड़ाई से रोक लगाने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं. इसके बाद अब जुआ-सट्टा में शामिल लोगों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की जाएगी. छत्तीसगढ़ सरकार ने अधिसूचना का जारी कर छत्तीसगढ़ जुआ (प्रतिषेध) अधिनियम 2022 की सभी धाराओं के अंतर्गत अब एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण (ईओडब्ल्यू) को जांच और कार्रवाई का अधिकार दे दिया है.

एसीबी और ईओडब्ल्यू को यह अधिकार मिलने से ऑनलाइन जुआ के मामलों में भी तेजी से जांच और प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी. बता दें कि एसीबी और ईओडब्ल्यू अब तक केवल भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता से जुड़े मामलों में जांच करती रही है. इस अधिसूचना के प्रकाशन से एसीबी और ईओडब्ल्यू की जांच और कार्रवाई का दायरा और बढ़ गया है.

बता दें कि एसीबी और ईओडब्ल्यू को जुआ एक्ट के तहत जांच और कार्रवाई का अधिकार मिलने से इन मामलों की जांच एक ही विंग में होगी. जिससे जांच में आसानी और कार्रवाई में तेजी आएगी. राज्य में जुआ-सट्टा पर प्रभावी तरीके से शिकंजा कसा जा सकेगा.

छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध अधिनियम में ऑनलाइन जुआ को शामिल किया गया है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा का प्रावधान और गैर जमानती धाराओं को शामिल किया गया था. अधिनियम में कार्रवाई के लिए कड़े प्रावधान करते हुए जुआ घर का स्वामी होना, जुआ खिलाना, ऑनलाइन जुआ खिलाना, विज्ञापन प्रतिषेध का उल्लंघन और कंपनी द्वारा अपराध को संज्ञेय तथा गैरजमानती अपराध बनाया गया है.

छत्तीसगढ़ जुआ (प्रतिषेध) अधिनियम 2022 में जुआ घर की परिभाषा में ऑनलाइन जुआ प्लेटफार्म शब्द जोड़ा गया है. उपकरण की परिभाषा में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, डिवाइस, मोबाइल ऐप, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर ऑफ फंड्स शब्द जोड़े गए हैं. पुराने अधिनियम में ऑनलाइन जुआ के लिए दंड का कोई प्रावधान नहीं था. अब अलग से सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें अधिकतम 3 वर्ष की जेल और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. बार-बार अपराध के लिए अधिकतम 7 वर्ष तक जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

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