December 16, 2024

CG : मूर्तिकला के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध है यह गांव, यहां की कला है 100 साल पुरानी

MURTIKALA2

दुर्ग। इस साल के अगले कुछ महीनो में गणेश पूजा, विश्वकर्मा पूजा, दुर्गा पूजा, काली पूजा का पर्व आने वाला है. देश हर जगह ऐसे पर्वों की धूम देखने को मिलती है. ऐसे हम आज छत्तीसगढ़ के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे है जिस गांव को मूर्ति कला के नाम से भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग में बसा एक छोटा सा गांव जिसे लोग मूर्ति कला के गांव के नाम से भी जानते हैं. इस गांव का नाम है थनौद. एक छोटा सा गांव अपने मूर्तिकला के लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश में भी प्रसिद्ध है. इस गांव के लगभग दो सौ परिवार मूर्तिकला का ही काम करके अपना परिवार चलाते हैं.

यहां की मूर्तियां और झांकियां की डिमांड अन्य राज्यों से आती हैं
बताया जाता है कि इस गांव में मूर्तिकला का इतिहास 100 साल पुराना है. यहां बनी मूर्तियों और झांकियों की डिमांड छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी साल भर बनी रहती है. यहां की मूर्तिकला की विशेषता के कारण अन्य राज्य से लोग यहां आकर मूर्तियां बनवाते हैं. ये शिल्पकार कृषि भी करते हैं लेकिन कम कृषि भूमि होने के कारण यह किसान अपने खेतों से एक ही फसल लेते हैं. साल भर यह मूर्तियां बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं.

इस गांव की मूर्तिकला 100 साल पुरानी है
यहां के चक्रधारी परिवार ने इस कला को आज के आधुनिकतम युग में भी बचा कर रखा है. बालम चक्रधारी बताते हैं की इस कला के माध्यम से ही वे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. बाकि समय मटके और अन्य खिलौने बनाकर गुजारा करते हैं. बच्चे स्कूल से आने के बाद पिता के साथ मूर्तिकला में हाथ बटाते हैं. शिल्पकार अजय चक्रधारी बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी काम है उनका परिवार लगभग 100 साल पहले से मूर्तिकला से ही अपना जीवन यापन करते आ रहे है. यहां रहने वाले चक्रधारी परिवार बड़े मेहनती होते हैं. वे मूर्तियां बनाने के लिए पहले विधि-विधान से मिट्टी की पूजा करते हैं. इसके बाद मिट्टी में अन्य चीजें मिलाई जाती है.

गणेश पूजा और दुर्गा पूजा में इस गांव की मूर्तियों की डिमांड सबसे ज्यादा होती है
दो हजार की आबादी वाले थनौद गांव की पहचान छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में भी है. यहां के मूर्तिकार अपनी माटी कला से सुंदर- सुंदर मूर्तियां बनाते हैं. इसके अलावा लोगों की डिमांड के आधार पर मूर्तियां तैयार की जाती है. थनौद गांव में साल भर मूर्तियां और झांकियां बनती है. नवरात्रि पर्व पर दुर्गा पूजा और गणेश चतुर्दशी में सबसे ज्यादा मूर्तियों के डिमांड आती है. बाकि दीपावली या बाकी समय मूर्तियों की डिमांड कम होती है. महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों के साथ-साथ मायानगरी मुम्बई में भी यहां बनी मूर्तियों और झांकियांकी डिमांड रहती हैं.

error: Content is protected !!
Exit mobile version