CG : सरकारी स्कूल में बच्चों को दी जा रही रामायण की शिक्षा, राम और सीता के रूप में दिखे बच्चे
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur) जिले में दो ऐसे सरकारी स्कूल (Government School) हैं, जहां बच्चों को शिक्षक उनके पाठ्यक्रम के साथ रामायण की भी शिक्षा (Ramayan in School) दे रहे हैं. शिक्षा के इस आधुनिक दौर में नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और संस्कारों से जोड़ने का प्रयास शिक्षक कर रहे हैं. गांव में होने वाले नवधा रामायण में भी बच्चे भाग लेकर वाद्य यंत्रों के साथ रामायण गाते हैं. बता दें कि स्कूल के अधिकांश बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर (EWS School Children) परिवारों से आते हैं.
बच्चों को हिन्दू संस्कृति से जोड़ने का प्रयास
इन दो सरकारी स्कूलों में शिक्षक अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं कि बच्चे अपनी पुरानी संस्कृति से जुड़ सकें. यहां के छोटे बच्चे रामायण के कठिन श्लोक को आसानी से पढ़ लेते हैं. खड़गवां के प्राइमरी स्कूल सकड़ा और टंगटेवापारा में शिक्षक बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कारों के निर्माण के प्रयास में जुटे हैं. दोनों स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक कुल 114 बच्चे हैं.
पहली के बच्चे भी आसानी से पढ़ लेते है किताब
इन स्कूलों में पहली कक्षा का बच्चा भी किताब देखकर हिंदी पढ़ लेता है. सकड़ा स्कूल के शिक्षक रूद्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्राइमरी के बच्चों को धीरे-धीरे अनुशासन के पथ पर चलने के लिए तैयार किया जा रहा है. पाठ्यक्रम के साथ उन्हें रामायण की शिक्षा भी दी जा रही हैं. वर्तमान में सकड़ा स्कूल में 46 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. बच्चों को रामायण के श्लोक याद करवाए जाते हैं.
‘आदर्श जीवन जीने की कला सिखाता है रामायण’
सरकारी स्कूल शिक्षक दिलीप सिंह मार्को, प्रतिभा जायसवाल और कांति कंवर ने कहा कि रामायण एक आदर्श जीवन जीने की कला सिखाता है. कई लोग आदिवासी समाज को बरगला रहे थे और रामायण की गलत जानकारी दे रहे थे. बच्चों को स्कूल में रामायण का पाठ करवाना शुरू किया गया जिससे बच्चे रामायण की बातों को सीख और समझ रहे हैं.