November 2, 2024

कांग्रेस के नव संकल्प और चिंतन शिविर के अंतिम दिन मिले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव

०० शिविर के बाद संगठन में सतह से शीर्ष तक की दिशा की जाएगी तय

०० शिविर के लिए विभिन्न विषयों पर बनाई थीं 6 समन्वय समितियां

 ०० समन्वय समितियो की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद कांग्रेस पहुंचेगी अंतिम निर्णय पर

रायपुर| राजस्थान के उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के नव संकल्प और चिंतन शिविर का रविवार अंतिम दिन है। सुबह सम्मेलन हॉल के बाहर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की मुलाकात हुई। दोनों नेता वहीं खड़े-खड़े थोड़ी देर तक बात करते रहे। फिर शिविर की चर्चा में भाग लेने चले गए।

बताया जा रहा है, दोनों नेताओं को अलग-अलग ठहराया गया है। वहीं चर्चा के लिए उनके समूह भी अलग-अलग हैं, ऐसे में उनकी लगातार मुलाकात नहीं हो पा रही है। छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के अलावा गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी, विधायक विकास उपाध्याय सहित कई लोग उदयपुर के चिंतन शिविर में पहुंचे हुए हैं। बताया गया है कि कांग्रेस ने इस शिविर के लिए विभिन्न विषयों पर जो 6 समन्वय समितियां बनाई थीं, उसकी रिपोर्ट पर चर्चा के बाद कांग्रेस रविवार को एक अंतिम निर्णय पर पहुंचेगी। इस शिविर के बाद संगठन में सतह से शीर्ष तक की दिशा तय की जाएगी। संगठन इस दिशा में कितना चलता है और चलकर कितनी कामयाबी हासिल करता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल तो प्रदेश संगठन और आम कार्यकर्ता इस शिविर को बड़ी उम्मीदों के साथ देख रहा है।

समितियों ने रखे हैं इस तरह के प्रस्ताव

संगठन – एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट मिले। पांच साल तक पद पर रहने के बाद अगले तीन साल तक संगठन में काम करना जरूरी हो। बूथ स्तर के पदाधिकारियों और चुनाव हार चुके नेताओं की भी संगठन में पहचान बनें। पूछपरख हो।

सामाजिक न्याय – संगठन की हर इकाई में सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रखा जाए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को 50% तक आरक्षण देकर मजबूत किया जाए।

राजनीति – चुनावी मोर्चे पर संगठन खुद को मजबूत करे। विधानसभा चुनावों में पहले अपने दम-खम पर तैयारी हो। अकेले प्रदर्शन को लेकर दिक्कत महसूस हो तो समान विचार वाले दलों से गठबंधन करने का फैसला तार्किक और परिस्थिति के आधार पर हो।

अर्थव्यवस्था – अर्थव्यवस्था की मौजूदा नीतियां लोगों को राहत देने के लिए नाकाफी हैं। एक ऐसे मॉडल की जरूरत है जो लोगों को महंगाई से राहत दिला सके। आय में वृद्धि हो और देश की उत्पादन क्षमता बढ़े। न्यूनतम आय की गारंटी सुनिश्चित की जाए। उदारीकरण को फिर से लाने की जरूरत होगी।

कृषि नीति – देश में किसान कर्ज और नुकसान के गहरे संकट में हैं। ऐसे में पूरे देश में कर्ज माफी और अधिकतम फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना होगा। इसके अलावा किसानों को मिलने वाली सब्सिडी भी वस्तु के रूप में न होकर सीधे नकदी के रूप में पहुंचे।

युवा – देश के अधिकांश मतदाता युवा हैं। ऐसे में उनसे गहरे संवाद के लिए युवाओं को संगठन और सरकार में मौका देना होगा। इसकी शुरुआत ब्लॉक समितियाें से ही करना होगा। अनुषांगिक संगठनों में भी युवा नेताओं को काम करने का मौका देना होगा।

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