CM त्रिवेंद्र सिंह रावत रिश्वतखोरी के आरोपों की CBI जांच के HC के आदेश के खिलाफ पहुंचे शीर्ष अदालत
नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ देश की शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक पत्रकार द्वारा उनके ऊपर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच का मंगलवार को आदेश देते हुए पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रदद कर दी थी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानूनी मामला है जिसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है. उन्होंने मीडियाकर्मियों सवाल के जवाब में कहा, ”यह एक कानूनी मामला है. इसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है, जो सबकुछ स्पष्ट कर देगा.”
हाईकोर्ट का फैसला दो पत्रकारों- उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल- द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी.हाईकोट ने एफआईआर रद्द करते हुए शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था.
शर्मा ने तब झारखंड के बीजेपी प्रभारी रहे रावत पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2016 में एक व्यक्ति को उस राज्य में गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनवाने में मदद के लिए अपने रिश्तेदारों के खातों में रुपए जमा करवाए थे.
मुख्यमंत्री रावत ने वकील दिव्यम अग्रवाल के जरिए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. वकील ने हालांकि हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के आधार का खुलासा नहीं किया है.