कोरोना: आयुर्वेद में बूम से दवाएं आउट ऑफ स्टॉक, एलोपैथी को 50 फीसदी घाटे का दावा
नई दिल्ली। कोरोना महामारी का इलाज ढूंढ पाना जहां अभी भी संभव नहीं हो पाया है वहीं देश में कोरोना से बचाव के लिए इस्तेमाल की जा रहीं इम्यूनिटी बूस्टर आयुर्वेदिक दवाएं आउट ऑफ स्टॉक हो गई हैं। घर में निर्मित काढ़ा, गर्म पानी, हल्दी-दूध, रसोई में मौजूद विभिन्न मसालों के इस्तेमाल के साथ ही भारत के लोगों ने ऐलोपैथिक दवाओं के बाजार को भी झटका दे दिया है।
दिल्ली के सबसे बड़े होलसेल दवा बाजार भागीरथ प्लेस स्थित दिल्ली ड्रग ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर का दावा है कि मार्च में हुए पहले लॉकडाउन के बाद से एलोपैथिक दवाओं की सेल में भारी कमी आई है. हर साल ही गर्मी और बारिश के महीने बीमारियों का सीजन होते थे. इस दौरान सभी दवाएं बिकती थीं और कॉम्बिनेशन के साथ एंटीबायोटिक दवाओं की सबसे ज्यादा सेल होती थी जो इस बार घटी है.
वहीं इसके उलट इस बूम से उत्साहित आयुर्वेदिक प्रोडक्ट निर्माता कंपनियों के उत्पादों की बिक्री करने वाले रिटेलर्स और होलसेलर्स का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान अधिकांश समय के लिए दुकानों के बंद रहने के बावजूद इम्यूनिटी बूस्टर आयुर्वेदिक दवाओं की सेल में इस बार 10 गुना ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है. यहां तक कि इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमाल हो रहे कुछ आयुर्वेदिक आयटम लंबे समय से आउट ऑफ स्टॉक भी चल रहे हैं.
ग्रोवर का दावा है कि इस साल मार्च में कोरोना बीमारी फैलने के बाद से एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में करीब 50 फीसदी की कमी आई है. सेल में कमी के पीछे कई वजहें हैं. सर्दी, खांसी, बुखार के दौरान डॉक्टर अन्य साइड इफेक्ट वाली दवाएं और एंटीबायोटिक दवाएं भी देते थे लेकिन इस बार लोगों ने इनसे निपटने और इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए भी काढ़ा, गर्म पानी, आयुर्वेदिक वटी, सत्व या चूरन अदि का इस्तेमाल किया है. वहीं लॉकडाउन और फिर अनलॉक में भी बड़ी संख्या में प्राइवेट अस्पताल या क्लीनिकों के न खुलने, ट्रांस्पोर्ट बंद होने के कारण दवाओं के पूरे भारत में न पहुंचने, आयुष मंत्रालय के अनुमति देने के बाद कोरोना से बचाव के लिए लोगों का ऐलोपैथिक दवाओं के बजाय आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं की ओर मुड़ जाना शामिल है.
दिल्ली के चावड़ी बाजार में आयुर्वेदिक दवाओं की होलसेल बिक्री और ऑनलाइन रिटेल फर्म चलाने वाले अनुज सिंह बताते हैं कि कोरोना के बाद से आयुर्वेद में बूम आया है. ऐलोपैथी या होम्योपैथी के मुकाबले आयुर्वेद में इम्यूनिटी बूस्टिंग के बहुत ज्यादा विकल्प मौजूद हैं. वहीं कोरोना का पूरा इलाज ही इम्यूनिटी पर आधारित होने के कारण आयुर्वेदिक आयटमों की बिक्री बढ़ी है. यहां तक कि आयुर्वेदिक इम्यूनिटी बूस्टर की बिक्री 10 गुना से ज्यादा बढ़ गई है.
हिमालया, डाबर, वैद्यनाथ आदि कई आयुर्वेदिक प्रोडक्ट निर्माता कंपनियों के सामान बेचने वाले सिंह ने बताया कि इन तीन महीनों में हिमालया की गुरुचि, अश्वगंधा, हनीटस हॉट सिप, ब्राह्मी, अमलकी, शिगरू, त्रिफला, योगी कंठिका, यष्टीमधु, गिलोय सत्व आदि आउट ऑफ स्टॉक चल रहे हैं. यहां तक कि ये दवाएं सबसे बड़े चावड़ी बाजार में भी कहीं नहीं हैं. वहीं डाबर महासुदर्शन चूर्ण, तुलसी अर्क, शंख भस्म, इरंड तेल, करेला और लहसुन की टैबलेट, डाबर का काढ़ा, मोटापा घटाने में इस्तेमाल होने वाली आयुर्वेदिक वटी आदि की मांग की सप्लाई करना मुश्किल होता जा रहा है.
अनुज कहते हैं कि सबसे बड़ी बात है कि लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन दवाएं मंगा रहे हैं.
आयुर्वेदिक दवा निर्माता और विक्रेताओं को कोरोना के दौरान इतनी बिक्री और मांग की उम्मीद नहीं थी, शायद यही वजह है कि पीछे से माल की सप्लाई नहीं हो पा रही और लाखों रुपये के ऑर्डर पेंडिंग पड़े हैं.पतंजलि स्टोर चला रहे नीरज कुमार का कहना है कि पतंजलि के गिलोय स्वरस, तुलसी स्वरस, तुलसी घनवटी, गिलोय घनवटी, सितोपलादि चूर्ण, नीम घनवटी यहां तक कि इम्यूनिटी बूस्टर कोरोनिल किट की भी भारी मांग है. इनमें से अधिकांश आयटम आउट ऑफ स्टॉक हैं और सप्लाई नहीं हो पा रही.
वहीं अमरजीत सिंह ने बताया कि पहले से चली आ रही इमोटॉल, आयुर्वेदिक इम्यूनिटी बूस्टर की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ी है. इसकी खास बात यह है कि इसकी दो बूंदें नाभि में डालनी होती हैं. आयुर्वेद आहार, व्यवहार और विचार पर निर्भर है, लिहाजा लोगों का भरोसा इस पर बढ़ रहा है.
होम्योपैथी के डॉक्टर राजा कविराज का कहना है कि होम्योपैथी बीमारी का नहीं बल्कि बीमारी के लक्षणों का इलाज करती है. वहीं आयुष मंत्रालय के अनुमति देने के बाद आर्सेनिकम एलबम-30 को इम्युनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. चूंकि कोरोना के लक्षण भी लगभग यही हैं जिन लक्षणों के इलाज के लिए इस दवा को लिया जाता है. लिहाजा इसकी खपत बहुत ज्यादा बढ़ गई. कई जगहों पर कैंप लगाकर भी लोगों ने इस दवा का वितरण किया.
इसके अलावा कृष्णांजलि होम्योपैथी स्टोर की ओर से बताया गया कि मार्च से लेकर अभी तक कई बार यह दवा आउट ऑफ स्टॉक हो गई और इसे डोज के हिसाब से भी लोगों को बेचा गया है.