छत्तीसगढ़ में सराफा कारोबार पर कोरोना का ग्रहण, 600 करोड़ का हुआ नुकसान
रायपुर। छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के कारण हर तरह के छोटे बड़े कारोबार प्रभावित हो रहे है, इसमें एक व्यापार सराफा का भी है। लगातार लॉकडाउन की वजह से सूबे के सराफा कारोबारियों को तकरीबन 600 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है। पुरे राज्य में पिछले 50 दिनों के लॉकडाउन के कारण सराफा व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। सराफा कारोबारियों का कहना है कि सब बंद होने के बाद भी स्टाफ और कर्मचारियों को पेमेंट देना पड़ रहा है।
रायपुर,बिलासपुर,दुर्ग, राजनांदगांव जैसे बड़े शहरों में कारोबारियों का बुरा हाल हैं।
राजधानी रायपुर के सराफा कारोबारियों का कहना है मार्च-अप्रैल और मई के महीने में शादियों का सीजन रहता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण सराफा व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा है। जिसका खामियाजा सराफा कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है। सराफा कारोबार से जुड़े कारीगरी का काम, रिफाइनरी का काम और हाल मार्किंग का काम भी बंद है। इससे जुड़े लोग भी पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। राज्य में अगर सराफा दुकानों की बात की जाए, तो 5 हजार 600 सराफा की छोटी-बड़ी दुकानें हैं। अकेले राजधानी रायपुर में सराफा की छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 1400 दुकानें हैं।
सराफा कारोबारियों का कहना है कि 5 हजार 600 सराफा दुकानों से आश्रित, जो स्टाफ और कर्मचारी हैं, उन सबके सामने रोजी-रोटी की परेशानी आ गई है। जो बड़े कारोबारी हैं, वह तो अपने कर्मचारी और स्टाफ को पेमेंट दे रहे हैं। लेकिन जो छोटे व्यापारी हैं, वह कर्मचारियों को पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं, जिससे सराफा व्यापार से जुड़े लोग भी परेशान हैं।
छत्तीसगढ़ में सराफा दुकान में काम करने वाले कर्मचारी और स्टाफ की संख्या लगभग 12 हजार है, तो वहीं कारीगरी का काम करने वाले कारीगरों की संख्या प्रदेश में 2,300 है। रिफाइनरी का काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 350 है। प्रदेश में हाल मार्किंग सेंटर 5 जगहों पर है। रायपुर में 3, दुर्ग में 1 और बिलासपुर में 1 हॉल मार्किंग सेंटर है, जो लॉकडाउन के कारण पिछले 50 दिन से बंद है। इस तरह से इससे जुड़े हर तरह के लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट हैं। कई व्यवसायों में आंशिक छूट मिल गई हैं पर सराफा कारोबार पर बंदिशे अब भी लागू हैं।