धान खरीदी पर संकट! : सीएम साय ने भूपेश बघेल के जिस फैसले को पलटा उससे नाराज हुए मिलर, सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी अटक सकती है। वेतन बढ़ाने समेत 8 मांगों को लेकर धान खरीदी केंद्रों के ऑपरेटर गुरुवार से हड़ताल में चले गए हैं। वहीं, 2022-23 की कस्टम मिलिंग का पैसे नहीं मिलने से 2 हजार से ज्यादा मिलरों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मिलरों ने सरकार को साफ कह दिया है अब पैसे दो और चावल लो। गुरुवार को मिलरों ने राजधानी रायपुर में अहम बैठक की इस बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है।
दरअसल, मिलरों को 2022-23 और 2023-24 में की गई कस्टम मिलिंग का पेमेंट अभी तक नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार, यह रकम करीब 4 हजार करोड़ रुपये के आसपास है। राज्य में नई सरकार बनने के बाद नई दरें तय कर दी गईं। जिसके बाद से मिलर खफा हैं। कांग्रेस सरकार मिलर को प्रति क्विंटल धान के कस्टम मिलिंग पर 120 रुपये मिलते थे लेकिन राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने इसे घटा दिया।
सरकार के फैसले से मिलर नाराज
सरकार के इस फैसले से मिलर नाराज हैं। मिलरों का कहना है कि अभी तक 2022-23 के पैसे नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन चार्ज का भी मामला है। पूर्व की कांग्रेस सरकार धान के परिवहन के लिए प्रति किमी 80 रुपये देती थी। नई सरकार ने इसमें भी कटौती कर इसे 14 से 18 रुपये कर लिया है। मिलरों का कहना है कि सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। इसके बाद कस्टम मिलिंग नहीं करने का फैसला किया है।
अब आगे क्या होगा
अगर राइस मिलर और सरकार के बीच सहमति नहीं बनती है तो किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें अपनी धान बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। इसके साथ ही धान को सुरक्षित करने के लिए सरकार को खरीदी केंद्र से संग्रहण सेंटर पहुंचाना होगा। जिसमें सरकार को भारी-भरकम खर्च आएगा। लंबे समय तक धान रखी रहने से सूखत की समस्या का भी आएगी।
इसके अलावा कई इंडस्ट्री पर भी संकट आ सकता है। वहीं, दूसरी तरफ यह भी दावा किया जा रहा है कि सरकार प्रति क्विटंल धान की कीमत 3100 रुपये की जगह पर 2300 रुपये दे रही है। जिस कारण से किसानों में आक्रोश है। बता दें कि राज्य में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 14 नंवबर से शुरू हुई है और 31 जनवरी 2025 तक धान की खरीदी की जानी है।