गांव-गांव में किसानों का प्रदर्शन : मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले जलाए, 8 को छत्तीसगढ़ बंद
रायपुर । किसानों के दिल्ली आंदोलन के समर्थन में प्रदेश गांव-गांव में भी सड़क जामकर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले भी जलाए गए। प्रदर्शन के दौरान मरवाही में दो किसान नेता गिरफ्तार किए गए। किसान संगठनों ने नए कृषि कानून तुरंत वापस ना लेने पर 8 दिसंबर को छत्तीसगढ़ बंद का आव्हान किया है।
किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के घटक संगठनों ने आज गांव-गांव में प्रदर्शन किया। वहीं किसान विरोधी नए कृषि कानूनों और बिजली कानून में संशोधन वापस लेने की मांग की। देशव्यापी इस आंदोलन का आव्हान अभा किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 500 से ज्यादा किसान संगठनों ने किया था। इन संगठनों द्वारा 8 दिसंबर को भारत बंद का आव्हान किया है, जिसका छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने भी समर्थन किया है। उन्होंने प्रदेश की आम जनता से अपील की है कि किसानों की जायज मांगों के समर्थन में छत्तीसगढ़ पूरी तरह से बंद रखें।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि देशव्यापी आंदोलन के तहत प्रदेश के सैकड़ों गांवों में भी पुतले जलाए गए। मरवाही के नागवाही गांव से देवान सिंह मार्को और सिलपहरी से विशाल वाकरे को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों मरवाही जिले में छत्तीसगढ़ किसान सभा नेता हैं। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने इसकी निंदा करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की है। सूरजपुर, सरगुजा, कोरबा, मरवाही, बिलासपुर, चांपा, राजनांदगांव, कांकेर, रायगढ़ सहित सभी जिलों के सैकड़ों गांवों से पुतले जलाने की लगातार खबरें आ रही हैं।
उन्होंने बताया कि इन कानूनों में संशोधन की सरकार की पेशकश को वार्ता में शामिल नेताओं और संगठनों द्वारा ठुकराए जाने का किसान नेताओं ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ये कानून कॉर्पोरेटपरस्त है। हमारे देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण जन जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा है, इसलिए इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के नेताओं ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने ही किसानों का विश्वास तोड़ा है और उसके अडिय़ल रवैये के कारण किसान संगठनों से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। सभी किसान संगठनों की एकमात्र मांग है कि इन कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
किसान नेताओं ने कहा है कि यदि आज की वार्ता का भी कोई नतीजा नहीं निकला और सरकार का रवैया अडिय़ल बना रहा, तो दिल्ली की नाकेबंदी को और तेज किया जाएगा। राजमार्गों पर किसानों का जमावड़ा दिल्ली की ओर बढऩे के लिए मजबूर होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और इन कानूनों की वापसी के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए।