तीनों बार तैरी भगवान नरसिंह की 7.5KG वजनी प्रतिमा, 150 साल पुरानी चमत्कारी परंपरा से तय होता है क्षेत्र का भविष्य
देवास। हाटपीपल्या में करीब डेढ़ सौ सालों से भगवान नरसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पत्थर की पाषाण प्रतिमा नदी में तैराई जाने की परंपरा है। प्रतिमा के तैरने से अंदाजा लगाया जाता है कि अगला साल कैसा जायेगा। वर्षों से प्रतिमा का तैरना चमत्कार माना जाता है और यहां के लोगों में इस अयोजन को लेकर जबरदस्त उत्साह रहता है।
क्या है ये परंपरा
देवास जिले के हाटपीपल्या में भगवान नरसिंह का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में साढ़े सात किलो वजनी ठोस चमत्कारी पाषाण प्रतिमा विराजमान है। भगवान नरसिंह मंदिर से प्रतिमा को प्रतिवर्ष डोल ग्यारस पर बड़ी ही धूमधाम से मंदिर से एक जुलूस के रुप में निकाला जाता है। पूरे नगर में अखाड़ा-जुलूस के साथ भ्रमण करवा कर फिर भगवान को नरसिंह घाट ले जाया जाता है। डोल ग्यारस पर्व पर प्रतिवर्ष भमोरी नदी में हजारों लोगों की मौजूदगी में इस पाषाण प्रतिमा को पूजा-अर्चना कर पूरे सम्मान के साथ नदी में तैराया जाता है।
प्रतिमा के तैरने को माना जाता है अच्छा संकेत
भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा को भमोरी नदी में मन्दिर के पुजारी के द्वारा तीन बार पानी में तैराया जाता है। लोगों की आस्था व मान्यता है कि मूर्ति अगर एक बार तैरी और दो बार डूब गई तो वर्ष के 12 महीने में से सिर्फ चार महीने ही अच्छे निकलेंगे। दो बार तैरी और एक बार डूबी तो समझो आठ माह अच्छे एवं चार माह खराब जायेंगे। यदि तीनों ही मर्तबा तैरी तो वर्षभर पूरे क्षेत्र में खुशहाली और समृद्धि रहेगी। क्षेत्र में अच्छी फसल आएगी। यदि तीनों ही बार डूब गई तो सूखे, प्राकृतिक आपदा के हालात बनेंगे।
इस बार तीनों बार तैरी
खास बात यह है कि इस वर्ष प्रतिमा तीनों ही मर्तबा पानी में तैरती रही। पंडित रमेश दास वैष्णव ने ऐसा तीन बार किया। हर बार प्रतिमा तैरती रही। प्रतिमा के तैरते ही सारा वातावरण भगवान नरसिंह के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालु ख़ुशी से झूम उठे। क्योंकि क्षेत्र के लिए पूरा साल खुशहाली भरा रहने वाला है।
भगवान को मिला गार्ड ऑफ ऑनर
पहली बार में करीब एक मिनट तक पाषाण प्रतिमा तैरती रही। दूसरी और तीसरी बार में जब पाषाण प्रतिमा को पानी की सतह पर छोड़ा गया, तो पाषाण प्रतिमा 2-2 मिनट तैरी। तीनों बार पाषाण प्रतिमा के पानी की सतह पर होने पर घाट पर मौजूद श्रद्धालु भगवान नरसिंह के जयकारे लगाते रहे। इस अद्भुत चमत्कारिक नजारे को देखने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान भगवान नरसिंह को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।