इंसान और परिंदों की दोस्ती, वर्षों से कौवों को दाना दे रहा यह पक्षी प्रेमी
धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी में पक्षी प्रेमी प्रकाश आडवाणी की कौवों से अनोखी दोस्ती है। दोनों के बीच यह दोस्ताना 20 वर्ष पुरानी है। प्रकाश आडवाणी के घर की छत पर रोजाना सैकड़ों कौवे आते हैं। उनके हाथों से दाना चुगते हैं। पितृपक्ष में परदेसी काले कौवे हर साल आते हैं। इंसान और पक्षी की इस गजब दोस्ती को देखकर लोग हैरान हो जाते हैं।
धमतरी के गणेश चौक इलाके में रहने वाले प्रकाश आडवाणी की गोल बाजार में कपड़ों की छोटी सी दुकान है. इससे होने वाली आमदनी से वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते है. साथ ही इसी कमाई का एक हिस्सा वो अपने खास दोस्तों पर भी खर्च करते हैं। आसमान में उड़ने वाले कौवे रोज सुबह प्रकाश के घर की छत पर उनसे मिलने पहुंच जाते हैं. प्रकाश इसके लिए पहले से तैयार रहते हैं. वो अपने हाथों से इन कौवों को उनकी पसंदीदा चीजें खिलाते हैं. यह सिलसिला बीते 20 वर्षों से ऐसा ही चला आ रहा है।
खास बात यह है कि हर साल पितृपक्ष में परदेसी काले कौवे आते हैं. जो दो-तीन महीने रहते है फिर न जाने कहां चले जाते हैं। प्रकाश बताते हैं कि उनके पिता पहले इन पक्षियों को रोजाना दाना देते थे. उनके निधन के बाद भी कौवे लगातार आते रहे और शोर मचाते थे, तब खुद प्रकाश ने उन्हें दाना देना शुरू किया जो आज भी जारी है. प्रकाश की कमाई का एक हिस्सा इसमें खर्च होता है. उनके इस अनोखे शौक से पहले परिवारवाले नाराज हुए लेकिन बाद में वो भी प्रकाश की भावनाओं का सम्मान करने लगे।
प्रकाश को कौवों को दाना देता देख कर और भी लोग पक्षियों और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहे हैं. लोग उनसे पूछते है कि कैसे वो पक्षियों से दोस्ती करते हैं. दरअसल अपने इन खास दोस्तों के लिए प्रकाश काफी चिंतित रहते है. विशेष तौर पर प्रदूषण को लेकर क्योंकि ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण पक्षी अब शहरों से दूर जाने लगे हैं. उनका कहना है कि देर रात तक तेज आवाज में बजने वाले डीजे से अगर जब कॉन्क्रीट का मकान हिलने लग जाता है तो सोचिए बेहिसाब शोर-गुल से इन पक्षियों का क्या हाल होता होगा. इन्हीं सब बातों को लेकर अब लोग पर्यावरण और पक्षियों के लिए चिंतित हो रहे हैं, जागरूक हो रहे हैं।
वैसे धमतरी शहर में प्रदूषण के कारण कौवै और कहीं दिखाई नहीं देते. लेकिन प्रकाश के घर रोज सैकड़ों की संख्या में यह पक्षी आते हैं. यह नजारा हैरान करने वाला है. धमतरी के लोग इस बात की सराहना करते हैं औ्रर इससे प्रेरणा भी लेते हैं. अयं निज: परो वेती लघुचेतसाम… उदार चरितानाम तु वसुधैव कुटुंबकम… मतलब सारा संसार एक कुटंब है. प्रकाश आडवाणी भी शायद इसी शास्त्रादेश का पालन कर रहे हैं. इसी तर्ज पर पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट किया जा सकता है।