September 27, 2024

दर्जन भर वंदे भारत एक्सप्रेस रेलवे के सफेद हाथी बनने की राह पर? ट्रेन में पैसेंजर्स का टोटा!

नई दिल्ली। भारतीय रेल की वीवीआईपी ट्रेन है वंदे भारत एक्सप्रेस। इसका किराया वीआईपी ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस से भी ज्यादा है। रेलवे का दावा है कि यह देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है। इसकी स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटे की है। इसमें शानदार पेंट्री सर्विस है। साथ ही नियत समय पर ट्रेन चलती है। इतनी विशेषताओं से लैस ट्रेन में भी पैसेंजर नहीं मिले तो आप क्या कहेंगे?

बीते दिनों रेल दुनिया वेबसाइट में आई एक खबर के मुताबिक कुछ रूट्स पर तो वंदे भारत पूरी आक्युपेंसी के साथ चलती हैं। लेकिन कुछ ऐसे रूट्स ऐसे भी हैं जहां यात्रियों का टोटा है। इस रिपोर्ट में एक आंकड़ा दिया गया है, जो वातानुकूलित कुर्सी यान का है। इसमें बताया गया है कि ये वंदे भारत रेलवे के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। इनमें भुबनेश्वर-विशाखापट्टनम, टाटानगर-ब्रम्हपुर, रीवा-भोपाल, कलबुर्गी-बेंगलुरु, उदयपुर-आगरा / जयपुर, दुर्ग-विशाखापट्टनम, नागपुर-सिकंदराबाद जैसे रूट्स शामिल हैं।

वन्दे भारत एक्सप्रेस चलाने का उद्देश्य देश के प्रमुख शहर को इंटरसिटी कनेक्टिविटी देना है। ऐसे शहर जो बिजनेस हब है या औद्योगिक इकाइयों से समृद्ध है या फिर बड़े धार्मिक यात्राओं के लिए प्रसिद्ध है उन्हें जोड़ने के लिए ये ट्रेन चलाए जा रहे हैं। मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, बनारस, पुणे इत्यादि ऐसे ही शहर है।

ऐसा नहीं है कि सभी वंदे भारत खाली चलते हैं। मुम्बई -अहमदाबाद, नई दिल्ली-वाराणसी, नई दिल्ली-कटरा, वाइजाग-सिकंदराबाद, सिकंदराबाद-तिरुपति, दिल्ली के आनंद विहार से देहरादून, त्रिवेंद्रम-कासरगोड, चेन्नई-नागरकोल आदि ऐसे रूट्स हैं, जहां पैसेंजरों की कोई कमी नहीं है। ये वंदे भारत 100 फीसदी ऑक्युपेंसी के साथ चलते हैं।

देश में सबसे पहले नई दिल्ली से वाराणसी के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस का परिचालन शुरू हुआ था। इस रूट पर पहले एक ही ट्रेन थी, 16 डिब्बों वाली। बाद में इस रूट पर दो वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू किया गया। इसमें भी डिमांड पूरी नहीं हुई तो अब इस रूट पर चलने वाली दोनों वंदे भारत में 20-20 डिब्बे लगाए गए। तभी ये ट्रेन भर कर चलती हैं। इसी तरह मुम्बई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली वंदे भारत की खूब डिमांड है।

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कई रूट्स पर वंदे भारत चलाने की वजह राजनीतिक भी है। उन रूट्स पर वंदे भारत जैसी महंगी ट्रेन में यात्रा करने के लिए लोगों के पास पैसे हैं या नहीं, इस बात पर विचार नहीं किया गया। राजनीतिक दवाब में वहां वंदे भारत तो चला दिया गया लेकिन वहां पैसेंजर्स नहीं है। ऐसे ही वंदे भारत रेलवे के लिए सफेद हाथी बना हुआ है।

मुख्य खबरे

error: Content is protected !!
Exit mobile version