December 23, 2024

छत्तीसगढ़ सरकार की उद्योग हितैषी नीति से राज्य में नए उद्योगों की स्थापना में बढ़ी उद्यमियों की रूचि

bhupesh baghel

साढ़े तीन वर्षो में किए गए 178 एमओयू में 90 हजार करोड़ रूपए से अधिक का पूंजी निवेश प्रस्तावित

स्थापित और निर्माणाधीन उद्योगों में अब तक किया गया 4 हजार 126 करोड़ रूपए से अधिक का पूंजी निवेश

11 औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन प्रारंभ

रायपुर| छत्तीसगढ़ सरकार की उद्योग हितैषी नीति से प्रदेश में नए उद्योगों की स्थापना और व्यापार के लिए अच्छा वातावरण बना है। छत्तीसगढ़ में उद्योगों की स्थापना के लिए उद्यमी ने गहरी रुचि दिखाई है। पिछले साढ़े तीन वर्षो में प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए 178 एमओयू किए गए हैं, जिनमें 90 हजार 077 करोड़ रुपए से अधिक का पूंजी निवेश प्रस्तावित है, इन उद्योगों की स्थापना के जरिए 1 लाख 10 हजार 303 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना प्रस्तावित किया गया है।

उद्योग विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार नए उद्योगों की स्थापना के लिए किए गए एमओयू के तहत प्रदेश में 4 हजार 126 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश किया जा चुका है। मई 2022 तक प्रदेश में स्थापित 11 औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन प्रारंभ हो गया है। इन उद्योगों की स्थापना में 1385 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश किया गया है, जिसके माध्यम से 1974 लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। प्रदेश में निर्माणाधीन औद्योगिक इकाईयों में अब तक 2741 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश उद्यमियों द्वारा किया जा चुका है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति लागू की गई है, जिसमें राज्य में उद्योगों की स्थापना और व्यवसाय के लिए अच्छा माहौल बना है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत उद्योगों की स्थापना से जुड़े नियमों को सरल बनाया गया है। उद्योगों को विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की गई है। अनेक सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है, वहीं उद्योगांे के लिए जमीन आवंटन और जमीन को फ्री होल्ड करने के व्यावहारिक प्रावधान किए गए हैं। नये उद्योगों की स्थापना के लिए संबंधित शासकीय विभागों की प्रक्रियों के सरलीकरण के लिए इज ऑफ डूइंग योजना के तहत अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की स्वीकृति, लाईसेंस एवं पंजीकरण की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। सभी प्रक्रियों को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने की व्यवस्था की गई है। नई औद्योगिक नीति के निर्धारण के पहले विभिन्न उद्योग संघों, उद्योगपतियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर व्यवहारिक प्रावधान किए गए हैं।

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