December 22, 2024

एनडीए की 13 बड़ी पार्टियों पर वंशवाद हावी, JDS की तो 3 पीढ़ियां पद पर; परिवारवाद से BJP को कितना परहेज?

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नईदिल्ली। लाल किले के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक बताया था. अपने इस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कम से कम 12 बार परिवारवाद का नाम लिया. संबोधन के दौरान उन्होंने राजनीति से परिवारवाद को जड़ से खत्म करने की अपील भी की.

बीजेपी ने इसके बाद परिवारवाद के खिलाफ पूरे देश में मुहिम भी शुरू की थी. पार्टी के बड़े नेता इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के परिवारवाद का जिक्र गाहे-बगाहे करते हैं. जेपी नड्डा ने हाल ही में कहा था कि इंडिया गठबंधन का लक्ष्य अपने परिवार को आगे ले जाना है, न कि देश को.

परिवारवाद पर जारी बहस के बीच एनडीए दलों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. जेडीएस की एंट्री ने परिवारवाद को लेकर बीजेपी के स्टैंड पर सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल 2023 में कर्नाटक की एक रैली में जेडीएस को एक परिवार की प्राइवेट लिमिटेड पार्टी बताया था.

प्रधानमंत्री ने जेडीएस को लेकर कहा था- कर्नाटक में एक पार्टी है जेडीएस, जो पूरी तरह से एक परिवार की प्राइवेट लिमिटेड पार्टी है. इस परिवार के बड़े चेहरे अपने परिवारों को सुरक्षित करने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने जेडीएस को कांग्रेस की बी-टीम बताया था.

जेडीएस के साथ ही बीजेपी के 13 सहयोगियों की राजनीति वंशवाद पर ही टिकी हुई है. इनमें कई पार्टियां अभी सत्ता में भागीदार भी है. उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन में शामिल अधिकांश पार्टी परिवारवाद के घेरे में हैं.

आइए उन्हीं पार्टियों के बारे में विस्तार से जानते हैं…

जनता दल सेक्युलर- पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने इस पार्टी की स्थापना की थी. कर्नाटक और केरल में इस पार्टी का मुख्य जनाधार है. हाल ही में जेडीएस ने बीजेपी गठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया है.

जेडीएस के संस्थापक एचडी देवगौड़ा अभी राज्यसभा के सांसद हैं. देवगौड़ा के दो बेटे एचडी कुमारस्वामी और एचडी रेवन्ना विधायक हैं, जबकि रेवन्ना के बेटे प्राज्वल अभी सांसद हैं. कुमारस्वामी के बेटे निखिल लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, उन्हें जीत नहीं मिली थी.

दिल्ली में अमित शाह के यहां मीटिंग में कुमारस्वामी के साथ निखिल भी मौजूद थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेडीएस ने लोकसभा की कुल 6 सीटों की डिमांड बीजेपी के सामने रखी है. पार्टी को कम से कम 5 सीट मिलने की उम्मीद है.

2019 में देवगौड़ा परिवार से 3 नेता चुनावी मैदान में थे. इस बार भी परिवार से 3 नेता चुनाव लड़ सकते हैं. कर्नाटक की 10 लोकसभा सीटों पर जेडीएस की मजबूत पकड़ है. हाल ही में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में जेडीएस को 19 सीटें मिली है. पार्टी के पास करीब 15 प्रतिशत वोट है.

शिवसेना- शिवसेना की कमान अभी एकनाथ शिंदे के पास है, जो महाराष्ट्र की सियासत में एक्टिव है. एकनाथ शिंदे के परिवार से 2 नेता अभी सक्रिय राजनीति में हैं. खुद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं, जबकि उनके बेटे श्रीकांत ठाणे सीट से सांसद हैं.

शिंदे के भाई भी राजनीति में काफी एक्टिव हैं. शिवसेना की स्थापना बालासाहेब ठाकरे ने की थी. हालांकि, 2022 में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बाद चुनाव आयोग ने इसकी कमान एकनाथ शिंदे को दे दी. शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति करती है, जहां लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं. शिवेसना कोटे के कई मंत्री-विधायकों और सांसदों के परिवार स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं.

एनसीपी (अजित)- राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का एक धड़ा हाल ही में अजित गुट के नेतृत्व में टूटकर एनडीए का दामन थामा है.एनसीपी अजित गुट के 9 मंत्री बीजेपी सरकार में शामिल है. अजित महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार के भतीजे हैं.

लोकसभा में हाल ही में सांसद सुप्रिया सुले ने बीजेपी की राजनीति पर सवाल उठाया था. सुप्रिया का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी पार्टी को नेचुरल करप्ट पार्टी कहा था, लेकिन जिन लोगों पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोप थे, सभी को आपने अपने साथ ले लिया.

अजित पवार के साथ एनसीपी के धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं. धनंजय कद्दावर नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे, जबकि अदिती सुनील तटकरे की बेटी है.

अजित पवार के सहारे बीजेपी एनसीपी के वोट बैंक को लोकसभा चुनाव में एनडीए के पाले में शिफ्ट कराना चाहती है. महाराष्ट्र की 25-30 सीटों पर एनसीपी का मजबूत दबदबा है.

जेजेपी- हरियाणा की जननायक जनता पार्टी भी एनडीए गठबंधन में शामिल है. इस पार्टी के मुखिया अजय चौटाला हैं, जो पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पोते हैं. अजय चौटाला के पिता ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

अजय चौटाला के भाई अभय चौटाला अभी विधायक हैं. वहीं अजय के बेटे दुष्यंत अभी हरियाणा सरकार में डिप्टी सीएम हैं. पारिवारिक विवाद के बाद 2019 से पहले जननायक जनता पार्टी का गठन हुआ था.

2019 में जननायक जनता पार्टी हरियाणा की हिसार, जींद और कैथल में शानदार परफॉर्मेंस की बदौलत तीसरी ताकत बनकर उभरी. हरियाणा सरकार में जेजेपी के 3 मंत्री हैं. लोकसभा की 2 सीट पर भी जेजेपी की मजबूत पकड़ है.

लोजपा (आर) और रालोजपा- रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा अभी दो गुटों में विभाजित हो चुकी है. पासवान के भाई पशुपति पारस के पास रालोजपा और पासवान के बेटे चिराग के पास लोजपा (आर) की कमान है. दोनों गुट अभी बीजेपी में है.

संसोपा से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले रामविलास पासवान जब एनडीए में शामिल हुए थे, तो उस वक्त उनके परिवार के 4 लोग सक्रिय राजनीति में थे. रामचंद्र के निधन के बाद उनके बेटे राजनीति में आ गए हैं.

अभी रालोजपा कोटे से पशुपति कैबिनेट मंत्री और प्रिंस सांसद हैं. लोजपा (आर) से चिराग सांसद हैं. रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान के भी राजनीति में आने की अटकलें हैं.

बिहार और झारखंड की राजनीति में लोजपा का विशेष दबदबा रहा है. पार्टी को 2019 में लोकसभा की 6 सीटों पर जीत मिली थी.

हम (से)- जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 2015 में जेडीयू से अलग होने के बाद उन्होंने 2015 में खुद की पार्टी का गठन किया था.

जीतन राम मांझी की पार्टी में भी उनके परिवार वालों का दबदबा है. मांझी के बेटे संतोष सुमन पार्टी के आधिकारिक मुखिया हैं. वे नीतीश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. मांझी के समधन भी पार्टी सिंबल से विधायक हैं.

जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी भी सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय हैं. उनके भी राजनीति में आने की अटकलें लगती रहती है. हम (से) का बिहार के गया, औरंगाबाद और जमुई जिले में मजबूत पकड़ है. इन जिलों में लोकसभा की कुल 3 सीटें हैं.

एनपीपी- नेशनल पीपुल्स पार्टी भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हैं. एनपीपी के मुखिया कोनराड संगमा अभी मेघालय के मुख्यमंत्री हैं. कोनराड के पिता पीए संगमा देश के दिग्गज नेता थे. पीए संगमा लोकसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं.

2012 में बीजेपी के समर्थन से उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा था. संगमा ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी. कोनराड की बहन अगाथा संगमा अभी लोकसभा सांसद हैं. अगाथा मनमोहन सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं.

कोनराड के भाई जेम्स संगमा भी मेघालय सरकार में मंत्री रह चुके हैं. कोनराड संगमा की पार्टी उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा एक्टिव है, जहां लोकसभा की करीब 25 सीटें हैं. इसमें अधिकांश पर अभी बीजेपी का ही कब्जा है.

अपना दल (एस)- अपना दल (सोनेलाल) के मुखिया अनुप्रिया पटेल हैं, जो मोदी कैबिनेट में मंत्री भी हैं. अनुप्रिया को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता सोनेलाल पटेल उत्तर प्रदेश के कद्दावर राजनेता थे.

राजनीति में अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल, बहन पल्लवी पटेल और पति आशीष पटेल एक्टिव हैं. पल्लवी समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. वहीं आशीष अपना दल (एस) कोटे से योगी सरकार में मंत्री हैं.

अपना दल का उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, बनारस, बलिया और वाराणसी में मजबूत पकड़ है. यहां के पटेल बिरादरी अपना दल के कोर वोटर माने जाते हैं, जिसकी आबादी यूपी में करीब 6 प्रतिशत है.

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं, जिसमें 2 सीटों पर अपना दल को 2019 में जीत मिली थी. उत्तर प्रदेश विधानसभा 2020 के चुनाव में अपना दल के 13 विधायक जीतकर सदन पहुंचे.

सुभासपा- उत्तर प्रदेश की सुहेलदेव समाज पार्टी हाल ही में एनडीए में शामिल हुई है. सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर हैं, जो अभी विधानसभा के सदस्य हैं. सुभासपा राजभर और अति पिछड़े समुदाय के मुद्दों पर राजनीति करती है.

ओम प्रकाश राजभर की पार्टी भी परिवारवाद से अछूती नहीं है. ओम प्रकाश के बड़े बेटे अरविंद राजभर दर्जा प्राप्त मंत्री रह चुके हैं. अभी पार्टी के प्रधान महासचिव हैं. उनके छोटे बेटे अरुण राजभर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हैं.ओम प्रकाश राजभर की पार्टी वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, बलिया और आजमगढ़ में काफी एक्टिव है. उत्तर प्रदेश विधानसभा में सुभासपा के अभी 6 विधायक हैं.

निषाद पार्टी- संजय निषाद की निषाद पार्टी भी बीजेपी गठबंधन का हिस्सा है. यह पार्टी यूपी की कुशीनगर, गोरखपुर, महाराजगंज और संतकबीरनगर में खासे-सक्रिय है. निषाद पार्टी में भी परिवारवाद का दबदबा है.

खुद संजय निषाद अभी योगी सरकार में मंत्री हैं. उनके बेटे प्रवीण निषाद बीजेपी सिंबल पर संतकबीरनगर से सांसद हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा में निषाद पार्टी के अभी 6 विधायक हैं.

निषाद पार्टी 2018 में पहली बार सुर्खियों में आई थी. उस वक्त योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सीट पर उपचुनाव होने थे. निषाद पार्टी के प्रवीण ने बीजेपी उम्मीदवार को भारी मतों से हरा दिया था.

इन पार्टियों में भी परिवारवाद हावी
एनडीए के तमिल मनीला कांग्रेस भी परिवारवाद से उपजी पार्टी है. तमिल मनीला कांग्रेस के अध्यक्ष जीके वासन कद्दावर नेता जीके मूपनार के बेटे हैं. नगा पीपुल्स फ्रंट पार्टी में भी परिवारवाद का दबदबा है. पार्टी के अध्यक्ष नेफ्यू रियो खुद मुख्यमंत्री हैं. उनके भाई झेलियो रियो भी नगालैंड सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

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