December 26, 2024

पहले केंचुओं को देखकर डर लगता था, लेकिन अब तो ये मेरे घर के सदस्य हैं :उर्वशी एवं संगीता

mahila kechuaa

गितपहर की महिलाओं के असली मितान हैं किसानों के मित्र कहे जाने वाले केंचुए, इनसे चल रहा है दो दर्जन महिलाओं का घर

रायपुर| मिट्टी को उर्वरा बनाने वाले केंचुए किसानों के मित्र कहलाते हैं, लेकिन क्या मिट्टी में लिपटे रहने वाले केंचुए महिलाओं के मितान हो सकते हैं…क्या यही केंचुए महिलाओं के लिए आय के साधन बन सकते हैं… सुनने में तो अजीब लगता है लेकिन ऐसा हो रहा है और ये संभव कर दिखाया है कांकेर के गीतपहर ग्राम पंचायत में रहने वाली महिलाओं ने गीतपहर की महिलाओं को न तो केंचुओं से डर लगता है न ही वो इन्हें देखकर दूर भागती हैं, बल्कि केंचुओं को ही अपना मितान बनाकर महिलाओं ने अपने लिए समृद्धि का द्वार खोल लिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सुराजी गांव योजना के अंतर्गत गीतपहर की रहने वाली उर्वशी जैन ने लगभग डेढ़ साल पहले गौठान के माध्यम से केंचुआ पालन का काम शुरू  किया था और आज सरस्वती महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से उर्वशी अब तक 1 लाख 37 हजार रूपए के 7 क्विंटल केंचुए बेच चुकी हैं और अभी भी इनके पास नए गौठानों और किसानों की आपूर्ति के लिए पर्याप्त केंचुए हैं, इसके साथ ही वर्मी कंपोस्ट बेचकर 1 लाख 39 हजार रूपए का लाभ कमा चुकी हैं। ये कहानी सिर्फ उर्वशी की ही नही है बल्कि जेपरा ग्राम की रहने वाली संगीता पटेल भी डेढ़ वर्षों में 90 हजार रूपए के 5 क्विंटल केंचुए बेच चुकी हैं और इन्हीं केंचुओं की मदद से 40 क्विंटल  वर्मी कंपोस्ट बेचकर 2 लाख रूपए का लाभ कमाया है।
उर्वशी और संगीता को शुरूआत में कृषि विभाग ने केंचुए उपलब्ध कराए थे, लेकिन इन दोनों ने केंचुओं की  इनकी संख्या बढ़ने के लिए बेहतर वातावरण तैयार किया और अब निजी व्यापारियों  के अलावा खुद कृषि विभाग भी इन केंचुओं को इनसे खरीद रहा है। उर्वशी और संगीता कहती हैं कि पहले केंचुओं को देखकर डर लगता था, लेकिन अब तो ये घर के सदस्य हैं क्योंकि इनसे ही हमें आर्थिक रूप से मजबूती मिल रही है।

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