November 15, 2024

देसी लोग खूब पी रहे विदेशी शराब, भारत में इस देश से आईं स्कॉच की 21.9 करोड़ बोतल

नईदिल्ली। भारत अब दुनिया के कई देशों के लिए शराब का बड़ा बाजार बनता जा रहा है. फिर वो चाहे रूस की वोडका हो या इटली की वाइन. इसकी एक बड़ी वजह भारत में शराब पीने को लेकर सामाजिक स्वीकार्यता और मध्यम वर्ग की आय का बढ़ना है. इसी में शामिल है ब्रिटेन की स्कॉच व्हीस्की, जिसके लिए भारत अब सबसे बड़ा मार्केट है और इस मामले में फ्रांस भी पीछे छूट गया है.

ब्रिटेन की स्कॉच व्हिस्की के लिए कभी फ्रांस सबसे बड़ा बाजार हुआ करता था. लेकिन 2022 में भारत ने इस मामले में फ्रांस को पीछे छोड़ दिया. साल 2022 में भारत का ब्रिटेन से स्कॉच व्हिस्की का इम्पोर्ट 60 प्रतिशत बढ़ गया है.

इंपोर्ट किए 21.9 करोड़ खंभा…
स्कॉटलैंड की शराब इंडस्ट्री के प्रमुख संगठन स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन (SWA) के मुताबिक भारत ने पिछले साल स्कॉच व्हिस्की की 700 मिलीलीटर वाली 21.9 करोड़ बोतलों का आयात किया, जबकि फ्रांस ने 20.5 करोड़ बोतलों का आयात किया था. भारत में देसी लोगों के बीच शराब की 700 ml की बोतल को खंभा बोला जाता है.

अगर पिछले एक दशक के हिसाब से तुलना करें, तो ब्रिटेन के लिए भारतीय स्कॉच बाजार में 200 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है और इसने फ्रांस को पीछे छोड़ दिया है.

सिर्फ 2 प्रतिशत बिकती है स्कॉच व्हिस्की
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत में इस सेक्टर पर भी फोकस किया जा रहा है. अभी भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को लेकर 7वें दौर की बातचीत चल रही है. एसडब्ल्यूए के मुताबिक भारत में स्कॉच व्हिस्की पर ऊंचा टैरिफ लगता है. इसलिए स्कॉच व्हिस्की के इंपोर्ट में दहाई अंक की वृद्धि के बावजूद भारत के व्हिस्की बाजार में स्कॉच की हिस्सेदारी सिर्फ 2 प्रतिशत है.

एसडब्ल्यूए का अनुमान है कि अगर भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौता होता है तो स्कॉच व्हिस्की पर भारत में लगने वाले टैरिफ पर 150 प्रतिशत तक का बोझ कम हो सकता है. इससे बाजार में स्कॉच व्हिस्की सस्ती हो जाएगी और इसकी डिमांड काफी बढ़ जाएगी.

Disclaimer: इस खबर के साथ दी गई फोटो सांकेतिक है. जनरपट किसी भी तरह से शराब के सेवन को बढ़ावा नहीं देता है. शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

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