‘गणेश’ की खोज में निकले वन विभाग को मिला उत्पाती हाथी ‘प्रथम’, टीम ने रेडियो कॉलरिंग में रचा इतिहास
रायपुर/कोरबा। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मो. अकबर के मार्गदर्शन में पिछले एक हफ्ते से कोरबा के जंगलों में आक्रामक हाथी ‘गणेश’ को काबू में करने वाइल्डलाइफ की टीम लगातार ऑपरेशन चला रही थी। टीम को गणेश तो नहीं मिला लेकिन उनका सामना एक दूसरे खूंखार हाथी से हो गया। उस हाथी ने धर्मजयगढ़ रेंज में कुछ दिन पहले एक व्यक्ति को मौत के घाट उतारा था।
वाइल्डलाइफ की टीम ने इस खूंखार हाथी को ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर आईडी पहना दिया. यह पहली बार है, जब दक्षिण भारत या देहरादून के विशेषज्ञों के बिना छत्तीसगढ़ की वाइल्ड लाइफ टीम ने अपने स्तर पर किसी खूंखार हाथी को काबू में किया, इसलिए जिस हाथी को कॉलर आईडी पहनाया गया, उसका नाम प्रथम रखा गया है।
यह पूरा ऑपरेशन ‘गणेश’ को काबू में करने के लिए चलाया जा रहा था. टीम को गणेश तो नहीं मिला, लेकिन रायगढ़ में आतंक का पर्याय बन चुके एक दूसरा दंतैल हाथी कुदमुरा के जंगल मे हाथ लग गया। टीम के साथ मौजूद कुमकी हाथी तीरथराम की मदद से इस दंतैल को काबू में कर पहली बार छत्तीसगढ़ के वन विभाग की टीम ने ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर आईडी लगाने में सफल रही है।
इसके पहले तक देहरादून से टीम यहां पहुंचती थी, जिसकी मदद से इस तरह के हिंसक हाथियों को ट्रेंक्यूलाइज किया जाता रहा है। इस मामले में अब छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर हो गया है. पहली बार किसी हाथी को सफलतापूर्वक ट्रेंक्यूलाइज किए जाने की वजह से हाथी का नाम प्रथम रख दिया गया है।
वाइल्डलाइफ टीम के लीडर डॉ राकेश वर्मा ने जनरपट को बताया कि गणेश की तलाश के दौरान एक और हाथी हमें मिल गया, जिसे हमने सफलतापूर्वक ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर आईडी पहना दिया है. गणेश अब छाल रेंज में विचरण कर रहा है, जिसे हम ट्रेस करने में लगे हुए हैं।