November 22, 2024

नमक से लेकर जहाज तक! हर घर में TATA, यूं ही नहीं खड़ा हुआ 365 अरब डॉलर का कारोबार, रतन टाटा ने मजदूरों की तरह काम कर बनाया विराट साम्राज्य

मुंबई। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। उन्होंने 86 की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 31 मार्च, 2024 तक टाटा ग्रुप का कुल मार्केट कैप 365 अरब डॉलर था। लेकिन टाटा ग्रुप का ये विराट कारोबार यूं ही यहां तक नहीं पहुंचा। टाटा ग्रुप को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए रतन टाटा ने मजदूरों की तरह काम किया है। 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में पैदा हुआ रतन टाटा के पिता नवल टाटा और मां सूनी टाटा 1948 में अलग हो गए थे। जिसके बाद उनकी दादी ने उन्हें पाला-पोसा।

रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से की थी पढ़ाई
मुंबई और शिमला में पढ़ाई करने के बाद रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। रतन टाटा अमेरिका में जॉब करना चाहते थे लेकिन दादी की तबीयत की वजह से उन्हें भारत आना पड़ा। भारत में उन्होंने आईबीएम में नौकरी शुरू की थी। उस समय टाटा ग्रुप के चेयरमैन जेआरडी टाटा को जब इस बारे में मालूम चला तो वे काफी नाराज हुए थे। जेआरडी टाटा के कहने पर उन्होंने अपना टाटा ग्रुप में अपना सीवी भेजा और एक सामान्य कर्मचारी के रूप में टाटा ग्रुप में अपने करियर की शुरुआत की।

टाटा स्टील में मजूदरों की तरह किया काम
टाटा ग्रुप में जॉब के दौरान उन्होंने बाकी कर्मचारियों के साथ काम की बारीकियां सीखीं और टाटा स्टील के प्लांट में चूना-पत्थर को भट्टियों में डालने का काम किया, जो आमतौर पर मजदूर करते थे। साल 1991 में रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने और करीब 21 साल तक पूरे ग्रुप का नेतृत्व किया। इस दौरान रतन टाटा ने न सिर्फ टाटा ग्रुप का यादगार नेतृत्व किया बल्कि इंडस्ट्री में भारत का नाम रोशन किया। टाटा ग्रुप का चेयरमैन रहते हुए रतन टाटा ने जगुआर लैंड रोवर जैसे दिग्गज ब्रांड को टेकओवर किया।

हर घर में टाटा
रतन टाटा का टाटा ग्रुप नमक बनाने से लेकर हवाई जहाज उड़ा रहा है। रतन टाटा की ही देन है कि आज भारत के घर-घर में टाटा का कोई न कोई प्रोडक्ट इस्तेमाल हो रहा है। रतन टाटा ने देश को ऐसे-ऐसे प्रोडक्ट दिए, जिसका इस्तेमाल भारत के अपर क्लास से लेकर लोअर क्लास तक इस्तेमाल कर रहा है।

error: Content is protected !!