पूर्वांचल कल्याण आश्रम के 41 वें वार्षिकोत्सव में शामिल हुई राज्यपाल, नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष को किया सम्मानित
आश्रम से जुड़े लोगों के त्याग व समर्पण को जानती हूँ, आश्रम के लोग बिना किसी अपेक्षा के निस्वार्थ भाव से करते है वनवासियों की सेवा : राज्यपाल सुश्री उइके
रायपुर| राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज कलकत्ता के हावड़ा महानगर स्थित कला मंदिर में आयोजित पूर्वांचल कल्याण आश्रम के 41 वें वार्षिकोत्सव में शामिल हुई। इस दौरान उन्होंने आश्रम के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रामचन्द्र खराड़ी को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया और उन्हें शुभकामनाएं दी। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वांचल कल्याण आश्रम के वार्षिकोत्सव में आना मेरे लिये गौरव की बात है। मैं स्वयं वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़ी रही हूं, इसलिए मैं इनके त्याग व समर्पण को जानती हूँ कि आश्रम के लोग बिना किसी अपेक्षा के निस्वार्थ भाव से वनबन्धुओं की सेवा करते है। वनवासियों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए आश्रम नित प्रयासरत है। राज्यपाल सुश्री उइके ने वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े रहे श्री जगदेव राम उरांव को नमन करते हुए कहा कि वनवासियों के कल्याण के लिए किये गए उनके कार्यों को सदन में उपस्थित लोग आगे बढ़ाएं। उनका व्यक्तित्व और सेवा भावना अनुकरणीय है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश भी जनजाति बाहुल्य है और वहां भी लोगों की इच्छा होती है कि वे व्यक्तिगत रूप से मुझसे मिलें। इसी उद्देश्य से मैंने राजभवन के दरवाजे आमजनों के लिए खोल दिये हैं। साथ ही लोगों के आत्मीय आमंत्रण पर सभी वर्गों के सामाजिक कार्यक्रमों में मैं उत्साह के साथ शामिल होती हूँ। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में लगभग 61 संस्थाओं के लोग आए हुए हैं जो मानव सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे है। इसीलिए आप सभी से जुड़कर गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। उन्होंने आगे कहा कि 1978 में स्थापित पूर्वांचल कल्याण आश्रम, सेवा के अपने उद्देश्यों को निरंतर पूरा कर रहा है। जनकल्याण की भावना से सेवा प्रकल्पों के द्वारा अंचल के वनवासी क्षेत्रों के लिए समर्पित यह संस्था आज वटवृक्ष का आकार ले चुकी है।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि देश भर में हजारों वनवासी ग्रामों से संपर्क में रहकर वनवासी बंधुओं के समग्र विकास के लिए 20 हजार से ज्यादा सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। कुल 238 छात्रावास संचालित हैं और दो हजार से अधिक एकल विद्यालय कल्याण आश्रम, आरोग्य केन्द्र और खेलकूद केन्द्र भी खोले गए हैं। जिससे वन पर्वतों में बसे गांव में कहीं चिकित्सा केन्द्र, कहीं छोटा अस्पताल, कहीं चल चिकित्सालय तो कहीं आरोग्य रक्षक योजना सहित विविध प्रयास किये जा रहे हैं।पूर्वांचल कल्याण आश्रम कोलकाता द्वारा पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में बालकों के लिए आठ और बालिकाओं के दो छात्रावास, 495 एकल विद्यालय, वर्षा जल संरक्षण हेतु वनवासी गांव में 550 से अधिक तालाब तथा दूरस्थ वन क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चार स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है।
साथ ही वनवासियों के शोषण के विरूद्ध उन्हें जागरूक करने के लिए वनवासी कल्याण आश्रम अनथक प्रयास कर रहा है। समाज हित में सक्रियता के साथ कार्य करते हुए अन्याय के खिलाफ जागरूकता हेतु अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।वनवासियों को अपने संवैधानिक अधिकारों की जानकारी भी होनी चाहिए, इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। साथ ही आप सभी से और वनवासी युवाओं से कहना चाहूंगी कि अपनी संस्कृति, बोली, भाषा पर गर्व करें और इसके संरक्षण के उपाय भी करें। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल कल्याण आश्रम के प्रयासों से वन क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियां बढ़ी हैं तथा इनके द्वारा किये जा रहे कार्य अत्यंत सराहनीय हैं। राज्यपाल सुश्री उइके ने आश्रम से जुड़े सभी लोगों को उनके कार्यों व समर्पण के लिए शुभकामनाएं दी।