अबूझमाड़ के घने जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों में मलेरिया की जांच करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम
नदी-नालों व पहाड़ी रास्तों को पार कर पहुंचे लंका, पदमेटा, कारंगुल, हांदावाड़ा और रासमेटा
पहुंचविहीन होने से बीजापुर और दंतेवाड़ा जिला होकर पहुंचा अमला, लंका और हांदावाड़ा में मलेरिया जांच के साथ ही शिविर लगाकर 1500 लोगों का इलाज
नारायणपुर में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के छटवें चरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य पूर्ण, 1.42 लाख लोगों की मलेरिया जांच
रायपुर| मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की टीम अबूझमाड़ के घने जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों में मलेरिया की जांच करने पहुंची है। नदी-नालों व पहाड़ी रास्तों को पार कर स्वास्थ्य अमले ने नारायणपुर जिले में घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे ओरछा विकासखंड के लंका, पदमेटा, कारंगुल, हांदावाड़ा और रासमेटा गांव पहुंचकर मलेरिया की जांच के साथ ही स्केबीज और मोतियाबिंद की भी स्क्रीनिंग की। नारायणपुर की ओर से पहुंचविहीन होने के कारण टीम लंबा रास्ता तय कर बीजापुर और दंतेवाड़ा जिला के रास्ते इन गांवों तक पहुंची। टीम ने लंका और हांदावाड़ा में मलेरिया जांच के साथ ही शिविर लगाकर 1500 लोगों का इलाज भी किया। नारायणपुर जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के छटवें चरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। इस दौरान वहां एक लाख 42 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत मलेरिया की जांच करने स्वास्थ्य विभाग की टीम लंका और हांदावाड़ा क्षेत्र में नारायणपुर जिले के अबूझ कहे जाने वाले ओरछा विकासखंड (अबूझमाड़) के धुर नक्सल प्रभावित, घने जंगलों एवं पहाड़ों को पगडंडियों के सहारे पार करते हुए लंका, पदमेटा, कारंगुल और रासमेटा गांव पहुंची। रास्ता न होने के कारण टीम को बीजापुर जिला होते हुए वहां तक पहुंचना पड़ा। खण्ड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) डॉ. सुखराम डोरपा के नेतृत्व में सहयोगी डॉक्टरों डॉ. अनुराधा नेताम और डॉ. श्यामबर सिंह के साथ स्टॉफ नर्स कु. सरस्वती दुग्गा ने शिविर लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मलेरिया, स्केबीज और मोतियाबिंद की स्क्रीनिंग कर अन्य बीमारियों की भी जांच की। उन्होंने दवाईयां और आवश्यक स्वास्थ्य परामर्श भी दिया।
हांदावाड़ा एवं लंका बीहड़ क्षेत्र जहां पहुंचने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा जिला पार कर जाना पड़ता है
हांदावाड़ा और लंका नारायणपुर जिले के ऐसे बीहड़ एवं दुर्गम गांव हैं जहां जाने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा की ओर से नदी-नालों को पार कर पहुंचना होता है। बारिश के दिनों में वहां स्थितियां और भी गंभीर होती है। स्वास्थ्य विभाग की टीम इसी मार्ग के जरिए इन गांवों में पहुंची और ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें आवश्यकतानुसार जीवनरक्षक दवाईयां निःशुल्क वितरित कीं।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के छटवें चरण में 17 मई से 16 जून तक नारायणपुर जिले में एक लाख 42 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई। इनमें से पॉजिटिव पाए गए 2566 लोगों का मौके पर ही इलाज शुरू किया गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस दौरान कुल साढ़े 25 हजार घरों, स्कूलों, आश्रमों, छात्रावासों, पोटा-केबिनों और अर्द्ध-सैनिक बलों के कैंपों में पहुंचकर मलेरिया की जांच की। स्वास्थ्य परीक्षण में 234 लोग टीबी से ग्रस्त पाए गए तथा 181 लोगों की बलगम की जांच के लिए सैंपल लिया गया। मोतियाबिंद स्क्रीनिंग में 730 लोगों ने कम दिखाई देना बताया। नारायणपुर के कलेक्टर श्री ऋतुराज रघुवंशी ने बताया कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत जांच का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। लेकिन जिले में यह अभियान अभी चलता रहेगा। लक्ष्य के अतिरिक्त भी लोगों की मलेरिया जांच की जाएगी। ओरछा विकासखंड के अबूझमाड़ क्षेत्र में जहां घना जंगल और पहाड़ से घिरा क्षेत्र है, वहां हम प्राथमिकता से पहुंच रहे हैं। जिले में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकताओं के साथ मितानिनें और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मलेरिया की सघन जांच कर रही हैं। मलेरिया के साथ ही वे स्केबीज, मोतियाबिंद, टीबी, दाद-खाज-खुजली, सर्दी, खांसी सहित अन्य बीमारियों की भी जांच कर रही हैं।