November 22, 2024

डिसक्लेमर स्पष्ट और पठनीय नहीं होगा तो विज्ञापनदाताओं पर होगी कार्रवाई

नई दिल्ली।  विज्ञापनों के संबंध में सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावित दिशा-निर्देंशों का एक व्यापक मसौदा जारी किया है, जिसमें आसानी से न दिखने वाले या सामान्य उपभोक्ता के लिए समझने में कठिन डिस्केलमर (खंडनों या अस्वीकारोक्तियों) को भ्रामक करार दिया जाएगा। 
इन दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्रा​धिकरण की ओर से कार्रवाई की जाएगी. इस प्राधिकरण का गठन हाल में किया गया है.

उपभोक्ता मंत्रालय ने इस मसौदे पर लोगों से सुझाव आमंत्रित किए है. इसके लिए 18 सितंबर तक का समय दिया गया है.

मसौदे में कहा गया है कि खंडन या डिसक्लेमर साफ, मोटा और पठनीय होना चा​​हिए. यह खंडन ऐसा हो जिसे ‘कोई सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति एक व्यावहारिक दूरी और व्यावहारिक गति की अवस्था में पढ़ सके.’ इसे पैकेट पर किसी स्पष्ट रूप से दिखने वाली जगह पर ही प्रकाशित होना चाहिए.

य​दि यह विज्ञापन किसी आवाज या :वायस ओवर: में सुनाया गया हो, तो उसके साथ लिखित पाठ भी चलाया जाए. यह उसी आकार के फांट तथा भाषा में हो, जिसमें विज्ञापन प्रकाशित किया गया हो.

किसी खंडन या अस्वीकारोक्ति में विज्ञापन की किसी भ्रामक बात को शुद्ध करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.

मसौदे में कहा गया है कि विज्ञापन में किसी माल या सेवा को मुफ्त या ​​नि:शुल्क या इसी तरह की किसी शब्दावली में प्रस्तुत न किया जाए, यदि उपभोक्ता को किसी उत्पाद की खरीद या डिलिवरी के लिए उसकी लागत से कुछ भी अलग भुगतान करना पड़ता हो.इसमें यह भी कहा है कि विज्ञापन में कपंनी के दावे की पुष्टि के लिए खड़े व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कि उसमें कही गयी बातें ठोस हों और उनकी पुष्टि की जा सके. उसे कोई असत्य या भ्रामक बात का प्रचार नहीं करना चाहिए. 

error: Content is protected !!
Exit mobile version