कोरोना योद्धा : भारतीय मूल की डॉ. उमा के लिए अमेरिका में निकाली गई कार रैली, सबने कहा- ‘शुक्रिया’
कनेक्टिकट। अमेरिका के कनेक्टिकट शहर की एक सड़क के किनारे सफेद कोट पहने एक महिला खड़ी है। सड़क पर एक के बाद एक गुजरती गाड़ियां महिला के सामने आकर दो पल को ठहरती हैं और गाड़ी में सवार लोग तालियां बजाकर महिला का अभिनंदन करते हैं और महिला हाथ हिलाकर उनका अभिवादन करती हैं। हर गुजरती गाड़ी के साथ महिला के होठों की मुस्कान और आंखों का अभिमान गहरा होता जाता है।
यह महिला कोरोना (Corona virus) के खिलाफ जंग में अमेरिका के बहुत से लोगों की जान बचाने वाली डॉक्टर उमा मधुसूदन हैं और उनके घर के सामने से गुजरती यह गाड़ियां पुलिस, दमकल विभाग और उनके हाथों ठीक हुए मरीजों और उनके रिश्तेदारों की हैं जो भारत की इस जांबाज डॉक्टर को उनके जज्बे के लिए अनोखे अंदाज में बधाई देने निकले हैं.
यह नजारा अपने आप में अद्भुत था, जब छोटी बड़ी दर्जनों गाड़ियां जलती बुझती हैड लाइट्स के साथ मधु के घर के सामने की सड़क से गुजर रही हैं. कुछ गाड़ियों पर गुब्बारे टंगे थे, तो कुछ पर पोस्टर. उन पर अलग अलग तरह से ‘थैंक यू’ लिखा था. कुछ गाड़ियों की रूफटॉप खुली थी और लोग उसमें से निकलकर तालियां बजाकर मधु का अभिनंदन कर रहे थे. हर गाड़ी जब कुछ पल को मधु के सामने धीमी होती तो वह कभी हाथ हिलाकर तो कभी फ्लाइंग किस करके उनका अभिनंदन स्वीकार करतीं.
डॉ. मधुसूदन ने बताया कि इसका आयोजन साउथ विंडसर क्षेत्र के लोगों ने किया था और वह कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रहे लोगों का अभिनंदन करना चाहते थे. ‘‘उन्होंने कोविड के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले लोगों का सम्मान करने का फैसला किया और सौभाग्य से मैं उनमें से एक थी.’’
डॉ. उमा मधुसूदन कर्नाटक में मैसूर से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने जेएसएस अकेडमी आफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च से संबद्ध मैसूर के शिवरात्रिश्वरा नगर में जेएसएस मेडिकल कॉलेज से 1990 में ग्रेजुएशन किया.
साउथ विंडसर के हाटफोर्ड हेल्थकेयर ग्रुप में पिछले कुछ सप्ताह से लगातार मरीजों की देखभाल कर रहीं डॉ. मधु का कहना है कि महामारी के सामने ढाल बनकर खड़े दुनियाभर के डॉक्टरों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है और कई बार भावनात्मक और शारीरिक रूप से हिम्मत जवाब देने लगती है, लेकिन ऐसे कठिन समय में उनके परिवार के लोगों के चेहरे की मुस्कुराहट उन्हें अपना फर्ज निभाते रहने की प्रेरणा देती है. उनकी बेटियों, पति और पिता से मिलने वाला सहयोग उन्हें मजबूत बनाए रखता है.
मधु का कहना है कि उन्हें हमेशा यह डर लगा रहता है कि कहीं कोरोना (Corona virus) का संक्रमण उनके घर तक न पहुंच जाए इसलिए वह जब भी घर जाती हैं तो परिवार के तमाम लोगों से दूरी बनाए रखती हैं. भारत में इस मुश्किल घड़ी में मरीजों की सेवा में लगे डॉक्टरों की सराहना करते हुए मधु कहती हैं कि वहां काम करने वाले डॉक्टर अमेरिका के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किल हालात में काम कर रहे हैं.
मधु ने तमिलनाडु में डॉक्टर साइमन हरक्युलस के अंतिम संस्कार के समय हुई घटना को दुखद करार देते हुए कहा कि भारत में रहते हुए हम सबको डॉक्टरों का सम्मान करने और उन पर विश्वास करने की शिक्षा दी गई है. उनका मानना है कि संकट की इस घड़ी में दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को सबसे ज्यादा स्नेह, सम्मान और सहयोग की जरूरत है क्योंकि यही लोग रौशनी की वह किरण हैं जो बीमारी के इस स्याह अंधेरे से दुनिया को बाहर निकाल सकते हैं. देखिए वीडियो