December 25, 2024

Jhiram Attack : मंत्री कवासी लखमा के नार्को टेस्ट किए जाने की मांग, CM बघेल बोले- ‘अगर भारत सरकार…’

BASTAR

जगदलपुर। झीरम हत्याकांड के 10 साल पूरे हो गए हैं और गुरुवार (25 मई) को इस झीरम घटना की 10वीं बरसी मनाई गई. इसमें खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर पहुंचकर लालबाग़ के झीरम शहीद स्मारक में इस घटना में शहीद कांग्रेसियों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने इस घटना को राजनीतिक अपराधी षड्यंत्र बताया है.

इस घटना को लेकर एक बार फिर मंत्री कवासी लखमा सुर्खियों में बने हुए हैं. दरअसल स्वर्गीय महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने झीरम घाटी हमले के वक्त कांग्रेस के काफिले में शामिल रहे कवासी लखमा को नक्सलियों द्वारा छोड़े जाने पर संदेह जताते हुए उनकी नार्को टेस्ट करने की मांग कर डाली है. छविंद्र कर्मा ने कहा कि मंत्री कवासी लखमा का नार्को टेस्ट होना चाहिए ताकि उस घटना की सच्चाई सबके सामने आ सके. छविंद्र कर्मा की मांग और पत्रकारों के पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आखिर छविंद्र कर्मा किससे न्याय की मांग कर रहे हैं? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए.

‘बीजेपी की सोची-समझी रणनीति साजिश है’
वर्तमान में झीरम हत्याकांड की जांच एनआईए के पास है जो भारत सरकार के अधीन है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर भारत सरकार हमें यह जांच सौंप देती है तो कवासी लखमा के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और आईजी मुकेश गुप्ता का भी नार्को टेस्ट किया जाएगा. ताकि घटना को लेकर सच्चाई सबके सामने आ सके. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम घाटी घटना बीजेपी की साजिश के तहत की गई एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. इसका नुकसान कांग्रेसियों को उठाना पड़ा है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले से ही इस घटना को लेकर कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगाते आ रही है. इसलिए कवासी लखमा के साथ पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और आईजी मुकेश गुप्ता की भी नार्को टेस्ट होनी चाहिए.

षड्यंत्रकारियों के नाम है मेरे पास- सीएम
मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मेरे पास पूरी जानकारी है. झीरम हमले के षड्यंत्रकारियों के नाम भी है, लेकिन सवाल ये है कि मैं इसे दूंगा किसे. क्योंकि एनआईए ने अब तक झीरम घाटी हमले में नक्सलियों से बचके आये कांग्रेसियों से इन 10 सालो में अब तक बयान नही ले पाई है. 2014 अगस्त माह तक अपने चार्जशीट में दो नक्सली लीडरों गणपति और रमन्ना के नाम शामिल करने के बाद सितंबर माह में साजिश के तहत चार्जशीट से दोनों नक्सली लीडरो का नाम NIA के द्वारा हटा दिया जाता है.

इसके बाद अधूरी रिपोर्ट कोर्ट को पेश कर दी जाती है. ऐसे में कांग्रेस के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ वासियों को और शहीदों के परिजनों को कैसे न्याय मिलेगा, इसलिए बार-बार राज्य सरकार भारत सरकार से जांच रिपोर्ट की मांग रही है, ताकि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी टीम के द्वारा जांच को आगे बढ़ाया जा सके. सही तथ्य सामने आ सके, लेकिन जानबूझकर भारत सरकार अपने लोगों को बचाने का काम कर रही है और जांच रिपोर्ट देने को तैयार नहीं है.

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