December 22, 2024

ज्योतिरादित्य सिंधिया के टि्वटर प्रोफाइल से BJP हटा, क्या मध्य प्रदेश की सियासत फिर करवट बदल रही?

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भोपाल ।  देश में एक तरफ कोरोना संकट गहरा रहा है। सरकार लॉकडाउन के बाद अनलॉक की तरफ बढ़ चली है।  तमाम चुनौतियों से जूझते हुए जन-जीवन सामान्य स्थिति में लौटने की जद्दोजहद कर रहा है।  इन सबके बीच मध्य प्रदेश में सियासत लगातार करवट बदल रही है।  भोपाल के सत्ता के गलियारे में इन दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के टि्वटर प्रोफाइल की चर्चा जोरों पर है।  सोशल मीडिया पर उनके टि्वटर प्रोफाइल से बीजेपी हटाने की चर्चा छिड़ी हुई है। 


इसके साथ ही एक और चर्चा सोशल मीडिया से लेकर भोपाल, दिल्ली में आम है कि आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के टि्वटर प्रोफाइल में बीजेपी का जिक्र क्यों नहीं है? सवाल उठ रहे हैं कि जिस नेता का खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित पूरी बीजेपी बीजेपी में आने का स्वागत किया हो।  जिसके आने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत पूरी तरह बदल गई।  बीजेपी की सत्ता में वापसी हो गई।  शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए।  उस नेता ने पार्टी ज्वाइन करने के बाद अपने टि्वटर प्रोफाइल से बीजेपी को दूरी क्यों बनाए रखी है।  क्या ये व्यक्तिगत फैसला है या इसके और भी कुछ मायने हैं। 


वैसे कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर अपने टि्वटर अकाउंट से BJP शब्द को हटा दिया है।   इसकी जगह उन्होंने पब्लिक सर्वेंट लिखा है।  हालांकि जानकार कहते हैं कि सिंधिया ने कभी भी अपनी ट्विटर प्रोफाइल में बीजेपी का ज़िक्र ही नहीं किया।  उन्होंने हमेशा ख़ुद को पब्लिक सर्वेंट ही बताया है।  वैसे इस चर्चा पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, न ही बीजेपी ने कुछ कहा है। 

इससे पहले भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का टि्वटर प्रोफाइल चर्चा में आया था। बीजेपी ज्वाइन करने से कई महीने पहले उनके टि्वटर प्रोफाइल से कांग्रेस हटाए जाने की चर्चा आम हुई थी।  बहरहाल, इस चर्चा पर बीजेपी या ख़ुद सिंधिया की तरफ से अभी किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है। 


कांग्रेस में करीब डेढ़ दशक तक रहने के बाद ज्योतिरादित्य ने होली के दिन बीजेपी ज्वाइन की थी।  बीजेपी सत्ता में लौटी और माना जा रहा था कि ज्योतिरादित्य को इसका लाभ मिलेगा।  लेकिन खबरें आ रही हैं कि उनके समर्थक पूर्व विधायकों को उपचुनाव का टिकट मिलने में चुनौती खड़ी हो रही है।  दरअसल कुछ सीटों पर सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों की जीत को लेकर संशय की बातें भी सामने आ रही हैं।  वहीं कई जगह बीजेपी के पुराने नेताओं ने विरोध के सुर बुलंद कर दिए हैं। 

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