चेन्नई।  कोरोना संक्रमण के बाद एक और बीमारी को लेकर दहशत है।  चेन्नई में कावासाकी बीमारी का एक मरीज मिला है।  आठ वर्षीय बच्चे को इस बीमारी से ग्रसित पाया गया।  हालांकि, अब वह पूरी तरह से ठीक हो चुका है।  कावासाकी बीमारी को हाइपर-इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम भी कहा जाता है। 
जिस लड़के को यह बीमारी हुई, उसे चेन्नई के कांची कामाकोटि चाइल्ड ट्रस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था।  उसका वहां पर दो सप्ताह इलाज चला. उसके बाद डॉक्टरों ने उसे छुट्टी दे दी।  अस्पताल ने अपनी ओर से इसे लेकर एक प्रेस रिलीज भी जारी किया है। 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण के दौरान इस बीमारी का पहला केस फ्रांस से मिला था।  इसके मुताबिक जिन इलाकों में कोरोना फैला, और जिन्हें यह बीमारी हुई, उनमें कावासाकी बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है. यह मुख्य रूप से बच्चों में फैलता है।  इस तरह के मिलते जुलते मामले न्यूयॉर्क और लंदन से भी आए हैं।  फ्रांस में जिस बच्चे को यह बीमारी हुई थी, उसकी मौत हो गई।  वह नौ साल का लड़का था।  कोरोना संक्रमण के बाद उसमें कावासाकी के लक्षण दिखे थे। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसे लेकर चिंता जताई है।  इसने इस विषय को लेकर दुनिया भर के विशेषज्ञों का एक समूह बनाया है।  यह इन मामलों की जांच करेगा कि क्या कोविड 19 से संक्रमित मरीजों को कावासाकी होने का खतरा रहता है या नहीं, खासकर बच्चों में। 

1967 में एक जापानी बालरोग विशेषज्ञ ने सबसे पहले इसके बारे में बताया था।  उनके नाम पर ही इसका नाम कावासाकी बीमारी पड़ा. इनके लक्षणों में बुखार, त्‍वचा पर लाल चकत्‍ते, हाथ और पैर में सूजन, गले और मुंह में लाली प्रमुख है।  कुछेक प्रभावितों में दिल को लेकर भी कंप्लीकेशन्स पाए गए हैं।  वैसे आम तौर पर शरीर की कोरोनरी धमनियों में सूजन की वजह से यह बीमारी होती है।  इसकी वजह से एन्यूरिज्मस बनने का खतरा रहता है।   

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