हमेशा से राजनीतिक उतार-चढ़ाव वाली सीट बस्तर का क्या है हाल?, यहां जानें सियासी समीकरण
रायपुर। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक बस्तर सीट भी है। विधानसभा की कुल 8 सीटें बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। इनमें कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकूट, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा विधानसभा सीटें शामिल हैं। इसमें से जहां 5 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया हुआ है, तो वहीं 3 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की हुई है। आजादी के बाद से ही कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाने वाली बस्तर सीट के सियासी समीकरण अब बदल चुके हैं और अब ये सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल गई है। बस्तर क्षेत्र में करीब 22 लाख की आबादी रहती है। यहां का मुख्य मुद्दा इस क्षेत्र को नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त कराना है। इसके अलावा आज भी बस्तर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं।
2014 का चुनाव और उसके समीकरण
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ को तीन चरणों में बांटा गया था। वहीं बस्तर लोकसभा सीट पर पहले ही चरण में मतदान हुआ। पहले चरण के तहत बस्तर में 10 अप्रैल 2014 को मतदान हुआ। इस चुनाव में जहां भाजपा ने दिनेश कश्यप को मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस ने दीपक कर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया। 16 मई 2014 को पूरे देश में हुई मतगणना में एक तरफ जहां भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला तो वहीं बस्तर में भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्शायी ने अपना परचम लहाराया। यहां भाजपा प्रत्याशी दिनेश कश्यप को 385829 वोट जबकि कांग्रेस प्रत्याशी दीपक कर्मा को 261470 वोट मिले।
2019 का चुनाव और उसके समीकरण
वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में भी छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में मतदान कराए गए। इसमें बस्तर लोकसभा सीट पर पहले ही चरण में 11 अप्रैल 2019 को मतदान हुआ। इस बार के चुनाव में भाजपा ने दिनेश कश्यप की जगह बैदू राम कश्यप को टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस ने भी दीपक बैज पर भरोसा जताया। वहीं इस चुनाव में कांग्रेस ने बड़ा फेरबदल किया। लगातार 6 बार से इस सीट पर कब्जा जमाकर बैठी भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस ने इस चुनाव में शिकस्त दी। कांग्रेस के प्रत्याशी दीपक बैज को जहां 402527 वोट मिले तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बैदू राम कश्यप को 363545 वोट के साथ हार का सामना करना पड़ा।
क्या कहती है बस्तर सीट की सियासत
बस्तर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से ही लगातार उतार चढ़ाव देखने को मिले। पहली बार 1952 में हुए चुनाव में जहां निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा ने जीत हासिल की। तो वहीं 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके बाद के तीन चुनावों 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस को निर्दल प्रत्याशियों से हार का सामना करना पड़ा तो वहीं 1977 में भारतीय लोक दल के प्रत्याशी रिगपाल शाह केसरी शाह ने कांग्रेस को हराया। वहीं दशकों के बाद 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण करमा ने कांग्रेस को जीत दिलाई। इसके बाद 1984, 1889 और 1991 में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1996 में एक बार निर्दल प्रत्याशी महेंद्र करमा ने कांग्रेस को हरा दिया। इस सीट पर पहली बार 1998 में भाजपा ने खाला खोला और फिर 2014 तक इस सीट पर कब्जा जमाए रखा। हालांकि 2019 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज ने बस्तर सीट पर जीत दर्ज कर ली।