April 23, 2024

लव जिहाद : यूपी सरकार को बड़ा झटका, हाई कोर्ट का आदेश – शादी से पहले आपत्तियां मांगना गलत

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमें अब स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत एक महीने के शादी कर सकते हैं. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए संबंधित नोटिस को अनिवार्य रूप से प्रकाशित कराने को निजता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए इसे वैकल्पिक करार दिया है.

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की अदालत ने अभिषेक कुमार पांडे द्वारा दाखिल एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए 30 दिन पहले नोटिस का अनिवार्य प्रकाशन कराना स्वतंत्रता और निजता के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन है. 

उन्होंने अपने आदेश में कहा कि नोटिस के अनिवार्य प्रकाशन से विवाहित जोड़े की अपने जीवनसाथी के चुनाव करने की स्वतंत्रता प्रभावित होगी. पीठ ने कहा कि अब से विवाह के इच्छुक पक्षों के लिए यह वैकल्पिक होगा, उन्हें मैरिज अफसर को यह लिखित अनुरोध देना होगा कि वह अपने विवाह संबंधी नोटिस को प्रकाशित कराना चाहते हैं या नहीं. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज यह आदेश हैबिस कार्प्स एक्ट के तहत सुनवाई पर सुनाया. बता दें कि इस मामले में एक मुस्लिम लड़की ने हिंदू बनकर अपने दोस्त से शादी की थी लेकिन सफिया के पिता को जब ये बात पता चली तो उन्होंने अपनी बेटी को पती के साथ जाने से मना कर दिया.

कोर्ट ने जब सफिया और अभिषेक से पूछा की आखिर उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी करने के लिए एक महीने पहले सूचना देनी पड़ती है और इसके साथ ही लड़के और लड़की की फोटो को नोटिस बोर्ड पर चिपका दिया जाता है और प्रचार किया जाता है जिससे बदनामी होती है इसी कारण था कि उन्होंने मैरिज एक्ट के तहत शादी नहीं की. इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने वाले कपल की फोटो तभी लगाई जाएगी जब उनकी रजामंदी होगी.

error: Content is protected !!