बदलते दंतेवाड़ा की नई तस्वीर : आदिवासी दीदियों द्वारा बनाई गई राखी से सजेगा राखी का त्यौहार
हाथों से बनाई गई राखी भाइयों की कलाई की शोभा बनेंगी इस बार, रेशम की डोरी से बंधेगा भाई बहन का प्यार
दंतेवाड़ा| रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के अटूट प्रेम का संदेश देता है। यह त्यौहार बड़े ही उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है। जहाँ बहन अपने भाई की कलाई पर बड़े प्यार से इस रेशम की डोर के साथ अपना प्यार और विश्वास बांधती हैं। यही धागा राखी के रूप में भाइयों की कलाइयों पर सजता है। और भाई जीवन भर हर सुख-दुख में उसका साथ निभाने का वचन देता हैं। ऐसे ही दंतेवाड़ा जिले की आदिवासी महिलाएं अपने हाथों से राखी बनाकर अपने भाइयों को भेज रही हैं। इसके साथ बाजार में उपलब्ध करा रही हैं।
रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए स्व-सहायता समूहों की दीदियां आजीविका के रूप में राखियां तैयार करने में जुटी हैं। इनके द्वारा हाथों से बनाई गई राखी भाइयों की कलाई की शोभा बनेंगी। जिले की पार्वती महिला ग्राम संगठन चितालंका, मां दंतेश्वरी संकुल संगठन बालूद, किसान महिला संकुल संगठन भांसी, एकता महिला ग्राम संगठन चितालंका की स्वसहायता समूह की 15 से 20 महिलाएं राखी तैयार कर रही हैं। मां दंतेश्वरी संकुल संगठन बालूद की सदस्य ग्राम चितालुर की निवासी श्रीमती सीमा बताती हैं कि स्व समूह की दीदियों द्वारा धान, चावल, मोती, ऊन, रक्षा धागे से अलग-अलग डिजाइन से फैंसी एवं आकर्षक रंग-बिरंगी राखियां बनाकर अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही है। इससे उन्हें रोजगार मिल रहा है। श्रीमती सीमा बताती हैं कि पिछले वर्ष स्व- सहायता समूह की दीदियों ने राखी बिक्री कर उनके समूह को 40 से 50 हजार रुपए की आमदनी हुई थी। इसी तरह पूरे समूह की दीदियों को लगभग 1 लाख 20 हज़ार का मुनाफा हुआ। और इस वर्ष भी अच्छी आमदनी की आशा रखती हैं। इस वर्ष निर्मित राखियों का कलेक्ट्रेट परिसर में शनिवार से स्टॉल लगाया जा रहा है। दीदियों द्वारा निर्मित राखियां जिले के मां दंतेश्वरी मार्ट, सी मार्ट, में उपलब्ध है। स्थानीय बाजार में भी इन राखियों की काफी मांग है। इसके साथ ही जिला प्रशासन महिलाओं की हरसंभव मदद कर रहा है।