CG : एंबुलेंस नहीं मिलने से मरीज की मौत; चीफ जस्टिस बोले – क्या कर रहे हैं जिम्मेदार अफसर

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सख्त नाराजगी जताई है। राज्य सरकार की मुफ्त की योजनाएं हैं फिर भी लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को हलफनामा पेश करने कहा है। हाईकोर्ट ने दंतेवाड़ा में एम्बुलेंस नहीं मिलने से मरीज की मौत और बिलासपुर रेलवे स्टेशन में कैंसर पीड़ित महिला का शव ले जाने एम्बुलेंस सुविधा नहीं मिलने को लेकर सुनवाई शुरू की है।
पिछले मंगलवार को रायपुर से बिलासपुर आकर यहां से बुढार जाने के लिए ट्रेन में सफर कर रही एक कैंसर पीड़ित महिला रानी बाई की मौत हो गई। ट्रेन के बिलासपुर पहुंचने पर शव को उतारकर कुली की मदद से उन्हें स्ट्रेचर से गेट नंबर एक के बाहर तक लाया। वहां पर एम्बुलेंस का ड्राइवर गायब था। थोड़ी देर बाद वह आया, लेकिन बॉडी ले जाने से मना कर दिया। महिला के परिजनों के परिचितों के जरिए दूसरे एंबुलेंस का इंतजाम किया और वहां से एक घंटे बाद रवाना हो गए। उन्हें बिलासपुर से शाम वाली ट्रेन पकड़कर बुढ़ार जाना था।
11 घंटे तक नहीं पहुंची एम्बुलेंस
वहीं दंतेवाड़ा जिले के गीदम में 11 घंटे तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचने के कारण इलाज में देरी हुई, जिससे मरीज की मौत हो गई। इस दौरान परिजन बार-बार 108 को कॉल करते रहे। लेकिन सुबह के बजाए एम्बुलेंस रात में आई। इसके चलते मरीज की जान चली गई। इससे नाराज परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया।
मनोरोग चिकित्सक, अन्य स्टाफ की नियुक्ति में देरी, कोर्ट खफा
वहीं राज्य मानसिक चिकित्सालय में मनोरोग चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ की नियुक्ति को लेकर कई बार निर्देश देने के बावजूद देरी हो रही है। नियुक्ति में देर को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में मुख्य सचिव से जवाब पेश करने कहा है। हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से लगातार नियुक्ति के विषय में 22 अगस्त 2024 से लेकर चार बार सुनवाई और आदेश के परिपालन नहीं होने की बात कही। वहीं मीडिया रिपोर्ट 180 मरीजों को संभाल रहे सिर्फ दो वार्ड ब्वाय को स्वतः संज्ञान में लेते हुए नाराजगी जताई है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों और स्टाफ की भर्ती जल्द प्रारंभ की जाएगी
प्रदेश के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय में चिकित्सकों व स्टाफ की कमी को लेकर एक अन्य जनहित याचिका दायर की है। वहीं इस मामले में दायर दो याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में एक साथ चल रही है। पिछली सुनवाई दौरान राज्य शासन ने डिवीजन बेंच के समक्ष जवाब पेश किया था। इसमें जानकारी दी थी कि मानसिक रोगी चिकित्सालय में बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर 200 की जा रही है। इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी भी दूर करने का निर्णय लिया गया है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने डिवीजन बेंच को जानकारी दी थी कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया जल्द प्रारंभ की जाएगी।