December 29, 2024

PM फसल बीमा योजना : खरीफ फसलों का बीमा कराने की आखिरी तारिख 15 जुलाई

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रायपुर। खरीफ फसलों का बीमा कराने के लिए अंतिम 5 दिन ही शेष रह गए हैं।  वर्तमान खरीफ मौसम में फसल बीमा 15 जुलाई तक किया जाएगा।  इन फसलों की बीमित राशि और प्रीमियम की राशि निर्धारित कर दी गई है. इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन एग्रीकल्चर इंश्योरेंश कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड कर रही है।  किसान अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए पास के बैंक, सहकारी समिति, कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। 


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस साल ऋणी-अऋणी सभी किसानों के लिए यह फसल बीमा ऐच्छिक कर दी गई है।  खरीफ फसलों के लिए किसान बीमित राशि का 2 प्रतिशत प्रीमियम दर पर देंगे. इस साल धान (सिंचित) पर प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 45 हजार रूपए होगी, जिसके लिए किसान को 900 रुपए प्रीमियम देना होगा. धान (असिंचित) पर प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 33 हजार रूपए होगी और बीमा प्रीमियम 660 रुपए निर्धारित किया गया है. इसी तरह मूंग और उड़द की एक हेक्टेयर फसल का 15 हजार रुपए का बीमा 300 रुपए में होगा। 


कृषि विभाग के उप संचालक एमजी श्यामकुंवर ने बताया कि किसानों को बीमा कराने के लिए बी-1 ,पहचान पत्र, बैंक खाते का पासबुक, किसान पहचान पत्र की फोटोकॉपी को फसल बुआई प्रमाण पत्र के साथ जमा करना अनिवार्य होगा. कृषि विभाग के बीमा आवरण की जानकारी देते हुए उप संचालक ने बताया कि बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा या प्रतिकूल मौसमी दशाओं में बुआई, रोपण नहीं होने पर हानि से यह बीमा सुरक्षा प्रदान करेगा. इसके अलावा गैर बाधित जोखिम जैसे सूखा, शुष्क अवधि, बाढ़, जल भराव, कीट व्याधि, भू-स्खलन, प्राकृतिक अग्नि दुर्घटना, आकाशीय बिजली, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, आंधी, समुद्री तूफान, भंवर और बवंडर के कारण फसल को होने वाले नुकसान की सुरक्षा के लिए वृहत् जोखिम बीमा दिया जाएगा.


इंश्योरेंश कवर पॉलिसी के मुताबिक फसलों की कटाई के बाद अधिकतम दो सप्ताह (14 दिन) के लिए चक्रवात, चक्रवातीय वर्षा और बेमौसम वर्षा के मामले में दिया जाएगा. जिन्हें फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ा गया हो. साथ ही अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषक भूमि को प्रभावित करने वाली ओलावृष्टि, भू-स्खलन और जलभराव के चिन्हित स्थानों में जोखिमों से होने वाले नुकसान से भी यह सुरक्षा प्रदान करेगा. साथ ही बताया गया है कि युद्ध, नाभिकीय जोखिमों से होने वाली हानियों, दुर्भावना जनित क्षतियों और निवारणीय जोखिमों को इस बीमा आवरण में शामिल नहीं किया गया है। 

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