PSC Scam : क्या अंतिम फैसले पर पहुंच गया पीएससी, CG सरकार ने विभाग के जवाब पर जताई सहमति
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सीजीपीएससी का मामला कोर्ट में है और 16 अक्टूबर को इसकी सुनवाई भी हुई है। जिसमें पीएससी ने हाई कोर्ट में जवाब भी पेश किया। वहीं, दूसरी ओर बीजेपी शुरू से लेकर अंत यानि अब चुनाव होने हैं इसे बड़ा मुद्दा बनाने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटी है। कोर्ट में पीएससी ने क्या जवाब दाखिल किया है। साथ ही राजनीति में इस मुद्दे को किस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मामले को इस खबर से आपको समझाने की कोशिश करते हैं।
बता दें कि 6 सितंबर 2023 देर रात सीजीपीएससी ने अपने फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिए। इस रिजल्ट में आरोप लगने लगे कि बड़े अधिकारियों, नेताओं के बेटे-बेटी रिश्तेदारों को चुना गया है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जब सीजीपीएससी को लेकर इंटरव्यू के रिजल्ट आए थे तब भी बीजेपी ने बवंडर खड़ा किया था। बीजेपी इसे बड़े मुद्दे की तरह देख रही थी और बड़ा मुद्दा बनाया भी गया। तमाम धरना प्रदर्शन और ज्ञापन सौपे गए जिसमें जांच की मांग भी की गई। फिलहाल यह मसला कोर्ट पर है लगातार सुनवाई की जा रही है। 16 अक्टूबर को जब इस मसले पर सुनवाई हुई तब कोर्ट में क्या क्या हुआ समझिए।
पीएससी ने बीजेपी के आरोप को खारिज किया
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पीएससी ने जो जवाब पेश किया है उसमें आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया गया है। आरोप ख़ारिज करते हुए परीक्षा की प्रक्रिया का उल्लेख है। पीएससी ने बताया है कि कॉपी की जांच करने वाले को पता नहीं होता कि किसकी कॉपी है। साथ ही यह भी फिक्स नहीं है कि कौन सी कॉपी कहां जाएगी।
याचिकाकर्ता की तरफ से दिए नामज़द किसी भी नाम की सीधी पुष्टि पीएससी के जवाब में नहीं हुई है। पीएससी ने केवल दो अभ्यर्थियों को लेकर बताया है। जिसमें कि एक कैंडिडेट पीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के दूर के रिश्ते में है, जो परिवार की परिभाषा में नहीं आता। यह अभ्यर्थी भी उस इंटरव्यू बोर्ड के सामने पेश नहीं हुआ जिसमें टामन सिंह शामिल थे। पीएससी ने पीएससी सदस्य ध्रुव के बेटे की नियुक्ति को माना है लेकिन उसमें अभिलेख पेश किए हैं कि, अपने पुत्र के परीक्षा में शामिल होने की जानकारी पहले से दी गई थी। उन्होंने ( ध्रुव ) खुद को पूरी परीक्षा प्रक्रिया से अलग कर लिया था। पीएससी ने जवाब में याचिकाकर्ता की ओर से लिखे गए उन पांच नामों पर सिरे से ख़ारिज किया है जिसके बारे में लिखा गया था कि यह एक नेता के ओएसडी के रिश्तेदार हैं।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने जिसने यह पहले कहा था कि, वह जांच कराएगी। उसने पीएससी के जवाब को लेकर कहा है कि वह इस जवाब से खुद को सहमत पाती है। ( राज्य ने यह नहीं कहा है कि वह जांच नहीं कराएगी ) इसके अलावा हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह इस जवाब के बाद यदि कोई तथ्य देना चाहता है। जो पीएससी के जवाब को गलत तथ्य को प्रमाणित कर सकता है तो वह जवाब दे। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवायी 6 नवंबर तय की है। यह कहना बेहद जल्दबाज़ी है कि 6 को ही हाईकोर्ट किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा।
उधर कोर्ट में मामला चल रहा है इधर चुनाव होने हैं तो बीजेपी ने भी इसे सभी जगहों पर हमला करते हुए आरोप लगाए हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता भी लगातार इस मसले को लेकर हर रैली सभा में बयान बाजी करते ही है। प्रदेश में दो चरणों में चुनाव होने हैं 7 नवंबर और 17 नवंबर। उससे पहले इस पीएससी मामले की सुनवाई भी होनी है। हालांकि कोर्ट इस मामले को जल्द से जल्द किसी नतीजे तक पहुंचाना चाहती है। जिसके लिए बेहद सख्त रवैया भी अपनाया जा रहा है।