November 6, 2024

रायपुर में महिला आयोग की जनसुनवाई, अश्लील मैसेज भेजने वालों पर आयोग हुआ सख्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने सोमवार को राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित मामलों में सुनवाई की. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में 285 वीं सुनवाई हुई. रायपुर जिले में कुल 136 वीं जनसुनवाई हुई. इस दौरान किरणमयी नायक ने बताया कि मेरे कार्यकाल में लगातार सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने की प्रक्रिया जारी है. ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें सामाजिक बहिष्कार करने वालों पर जब आयोग में फटकार पड़ी तो उन्होंने उसका बहिष्कार समाप्त कर दिया है. कई बार लिए गए पैसे भी उनके द्वारा वापस किए गए हैं.

कोंडागांव में स्थगित कर दी गई थी बैठक: किरणमयी नायक ने कहा कि आज के प्रकरण में कोंडागांव में सुनवाई होनी थी, जब हमने कोंडागांव जिले में सुनवाई की थी. अनावेदक पक्ष की ओर से एक तरीके से दवाव बनाने की राजनीति की गई. कोंडागांव जिला कलेक्टर और एसपी को लगा कि वहां 9000-10000 लोग कलेक्ट्रट आ जाएंगे और बलौदा बाजार जैसी घटना ना हो जाए, इसलिए उस दिन की बैठक को स्थगित कर दिया है. हालांकि उस बैठक में मैं जाने वाली नहीं थी, हमारी टीम जाने वाली थी.

सामाजिक बहिष्कार मामले में हुई सुनवाई: किरणमयी नायक ने आगे कहा कि इसके बाद हमने इस मामले की सुनवाई आयोग में करने का निर्णय लिया. आज इसी कड़ी में वहां से 18-20 लोग पहुंचे और आवेदिका भी पहुंची हुई थी. जिसमें अनावेदक ने अपना शपथ पत्र पेश किया है. शपथ पत्र में उन्होंने कहा कि ना तो हमने सामाजिक बहिष्कार किया है. ना ही हम आगे भविष्य में करेंगे.आवेदन करने वालों को हमने अधिकार दिया है कि आप सारे सर्टिफाइड कॉपी को अपने पास लेकर रख लें और गांव में जाकर उसे दिखाएं कि आयोग में इन्होंने माफीनामा दिया है. आज जो उन्होंने मौखिक माफीनामा कबूल किया उसे भी रिकॉर्ड कराया गया है.

अश्लील मैसेज भेजने पर आयोग सख्त: वहीं, एक अन्य मामले में आवेदिका ने शिकायत किया था कि आवेदिका के मोबाइल नं पर अनावेदक ने अभद्र शब्द टाइप करके भेजा था. जो अभी आवेदिका के मोबाइल पर सुरक्षित है. आवेदिका ने इसकी शिकायत अपने विभाग के उच्चाधिकारियों को किया है, लेकिन अब तक सही तरीके से जांच प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. आवेदिका ने बताया कि अनावेदक अश्लील चित्र और फूहड़ गाने चलाकर कार्यालय में काम करते हैं. मुझ पर व्यंग करते है. आयोग द्वारा अनावेदकगणों को समझाईश दिया गया कि उन्होने कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न 2013 कानून का पालन सही तरीके से नहीं किया. इस प्रक्रिया को पूर्ण करने की जिम्मेदारी अनावेदकगणों की होगी. आयोग ने निर्देश दिया की 1 माह के भीतर आंतरिक जांच समिति की बैठक कर प्रक्रिया पूर्ण कर रिपोर्ट आयोग में पेश करें, जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके.

इस मामले में जांच के आदेश: इसके अलावा एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने बेटे के साथ उपस्थित हुई. ए.एस.आई गौरेला अनावेदक को लेकर उपस्थित हुई. आयोग की ओर से अनावेदक के साथ आवेदिका की मां जो कि एक मानसिक रोगी है. उनको भी उपस्थित करने के निर्देश एस. डी.एम. गौरेला को दिये थे, लेकिन एस.डी.एम. गौरेला उक्त आदेश के बाद भी आयोग के निर्देश का पालन कराने में असमर्थ रहे. अनावेदक लगातार चार सुनवाई में आवेदिका की मां को लेकर नहीं आया. आवेदिका के बेटा ने आवेदन आयोग में पेश किया कि आवेदिका की मां को आखरी बार रजिस्ट्रार कार्यालय में देखा गया था. उसके बाद किसी ने उसे नहीं देखा उसने संभावना व्यक्त किया कि अनावेदक की ओर से आवेदिका की मां की हत्या कर दी गई है. वह हर बार झूठ बोलता है कि वह तीर्थ यात्रा पर गई है. आवेदिका की मां वास्तव में जीवित है या उसकी हत्या अनावेदक द्वारा किया गया है, इसकी जांच के लिए तत्काल प्रभाव से एफ.आई.आर के निर्देश आयोग ने दिया और जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

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