राहुल गांधी जी! एक नजर इधर भी, कांग्रेस और सहयोगियों की सरकारों भी अगड़ी जातियों के अफसर चला रहे हैं
नई दिल्ली। केंद्र में ब्यूरोक्रेसी की अगड़ा बनाम ओबीसी अधिकारियों की नियुक्ति का मुद्दा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि मोदी सरकार में केवल तीन यूनियन सेक्रेटरी ही ओबीसी हैं। राहुल गांधी का कहना था कि महत्वपूर्ण पदों पर आरक्षित श्रेणी के अधिकारियों को तैनात करने के मोदी सरकार के रिकॉर्ड का जिक्र किया था। हालांकि, कांग्रेस नेता को इस मामले में खुद अपनी पार्टी का रिकॉर्ड भी देखना चाहिए। ओबीसी अधिकारियों के मामले में उनकी पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है। वर्तमान में चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। चारों ही राज्यों में मुख्य सचिव सामान्य वर्ग से हैं।
इसी तरह, कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों के नेतृत्व वाले छह राज्यों में से, केवल तमिलनाडु में आरक्षित वर्ग (एसटी) से संबंधित एक मुख्य सचिव है। कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्यों में मुख्य सचिव, प्रबोध सक्सेना (हिमाचल प्रदेश), अनुराग वर्मा (पंजाब), उषा शर्मा (राजस्थान), वंदिता शर्मा (कर्नाटक), अमीर सुभानी (बिहार), एच के द्विवेदी (पश्चिम बंगाल), अमिताभ जैन (छत्तीसगढ़), सुखदेव सिंह (झारखंड) और वी वेणु (केरल) सभी ऊंची जाति से हैं। तमिलनाडु में एसटी वर्ग से शिव दास मीना (तमिलनाडु) एकमात्र अपवाद हैं। लोकसभा में महिला कोटा बिल पर बोलते हुए राहुल ने कहा था कि भारत सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी हैं। उन्होंने 25 सितंबर को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली में अपनी टिप्पणी दोहराई थी। राहुल गांधी ने कहा था कि ये सचिव बजट का केवल 5% नियंत्रित करते हैं। अगर देश का बजट 44 लाख करोड़ रुपये है, तो वे केवल 2.2 लाख करोड़ रुपये पर नियंत्रण रखते हैं।
राहुल के इस दावे का खंडन करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि यह सरकार जो देश चलाती है, सचिव नहीं। सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 1985 से 1989 तक जब स्वर्गीय राजीव गांधी प्रधान मंत्री थे, सरकार का कोई भी सचिव किसी भी आरक्षित वर्ग (एससी /अनुसूचित जनजाति) से नहीं था। 2023 में, सात सचिव एससी वर्ग से और पांच एसटी वर्ग से थे। जबकि 2014 में ओबीसी वर्ग से संबंधित अतिरिक्त सचिव/संयुक्त सचिव रैंक के केवल दो अधिकारी थे, तब से यह संख्या बढ़कर 63 हो गई है। कांग्रेस शासन के दौरान कांग्रेस प्रधानमंत्रियों (इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह) के प्रधान सचिव/सचिव के रूप में कार्य करने वाले सभी अधिकारी सामान्य श्रेणी से थे। सरकारी सूत्रों ने कहा कि ओबीसी श्रेणी के लिए आरक्षण 1993 में पेश किया गया था। जिन अधिकारियों ने इसका लाभ उठाया था वे1995 बैच के थे। ये अभी तक सचिव पद तक नहीं पहुंचे हैं।
बीजेपी ने राहुल को दिया जवाब
अमित शाह के बाद कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणियां राजनीति से प्रेरित थीं। ऐसी तुलना करना त्रुटिपूर्ण और गलत था। उन्होंने कहा कि राहुल को ऐसी टिप्पणी करने से पहले सामान्य ज्ञान का इस्तेमाल करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि एक आईएएस अधिकारी को सचिव स्तर तक पहुंचने में ढाई दशक से अधिक समय लगता है। मंडल आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन के बाद 1995 में ओबीसी अधिकारियों के पहले बैच की भर्ती की गई थी। अब उन्हें सचिव स्तर की जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। सिंह ने कहा कि इसके अलावा, केंद्र में सचिवों की नियुक्ति कांग्रेस शासित राज्यों के विपरीत 360 डिग्री मूल्यांकन के बाद की जाती है।