April 1, 2025

राष्ट्रपति भवन में रमजान, राजेंद्र बाबू से द्रौपदी मुर्मू तक… कौन-कौन राष्ट्रपति पहुंचे

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नई दिल्ली। जिस रिवायत को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 के दशक में शुरू किया था वह अब भी शानदार तरीके से जारी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन के भीतर बनी मस्जिद में कुऱआन-ए-पाक के मुकम्मल होने पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इसे खत्म शरीफ भी कहते हैं। आप अब भी राष्ट्रपति भवन में रहे पुराने लोगों से पूछ सकते हैं कि राजेन्द्र प्रसाद के बाद भी सभी राष्ट्रपति रमजान के दौरान खत्म शरीफ के मौके पर राष्ट्रपति भवन की मस्जिद में जरूर आते थे। रमजान में सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज के दौरान कुरआन का पाठ होता है।

कौन-कौन राष्ट्रपति पहुंचे
भारत के कई राष्ट्रपति रमजान के पाक महीने में राष्ट्रपति भवन मस्जिद में नमाज अदा करने आते हैं। डॉ. जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी ने रमजान के दौरान यहां नमाज़ अदा की है। इसके साथ ही सभी राष्ट्रपति रमजान के दौरान ‘ख़त्म शरीफ़’ के अवसर पर यहां अवश्य़ आते हैं। इस दिन, राष्ट्रपति मस्जिद में आते हैं और राष्ट्रपति भवन की मस्जिद के इमाम को पगड़ी और उपहार भेंट करते हैं।

कब बने मंदिर-मस्जिद
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पहल पर ही राष्ट्रपति भवन परिसर के भीतर मंदिर और मस्जिद दोनों ही का निर्माण हुआ था। चूंकि राष्ट्रपति भवन से सटे ही हैं चर्च और गुरुद्वारा इसलिए इनके निर्माण की जरूरत महसूस नहीं की गई होगी। राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी राजवंशी देवी प्रसाद होली के अलावा दिवाली, ईद, क्रिसमस, बाबा नानक जन्म दिन आदि त्यौहार पूरे राष्ट्रपति भवन के सैकड़ों कर्मचारियों के साथ मनाते थे। डॉ. शंकर दयाल शर्मा के दौर में अगर वे व्यस्ततावश कुछ देर तक रुकने के बाद चले जाते थे तो भी उनकी पत्नी विमला शर्मा सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती थी।

राष्ट्रपति भवन में दशकों रहे भारत के पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी अनादि बरूआ बताते हैं कि राष्ट्रपति भवन में सभ पर्वों पर गजब का माहौल होता है। खत्म शरीफ पर राष्ट्रपति की ओर से सभी कर्मचारियों को मिठाई बांटी जाती है। राष्ट्रपति भवन मस्जिद के इमाम के लिए अपने परिवार के साथ यहां रहने का भी व्यवस्था है।

जब आते थे जाकिर हुसैन
राष्ट्रपति भवन के पुराने मुलाजिमों को याद है जब डॉ. जाकिर हुसैन अपने परिवार के सदस्यों के साथ यहां की मस्जिद में आकर नमाज अदा करते थे। एपीजे कलाम भी राष्ट्रपति भवन की मस्जिद में जुमा की नमाज़ अदा करने पहुंचते थे। वे नमाज़ के बाद, उन सभी लोगों के साथ कुछ समय बिताते थे। डॉ. कलाम युवा नमाजियों से देश-दुनिया की बातें करते थे।

इस बीच, राष्ट्रपति भवन की मस्जिद के पास एक मंदिर भी है। इधर सभी प्रमुख हिंदू त्योहार भी उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। अगर कोविड काल को छोड़ दिया जाए तो राष्ट्रपति भवन में सभी त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

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