April 20, 2024

आरबीआई के नए राहत उपाय: ब्याज दरों में कटौती, ऋण स्थगन बढ़ाने का फैसला

मुंबई।  भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 संकट के प्रभाव को कम करने के लिए ब्याज दरों में कटौती, कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को बढ़ाने और कॉरपोरेट को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को इजाजत देने का फैसला किया. गौरतलब है कि चार दशकों से अधिक समय में पहली बार अर्थव्यवस्था संकुचन के दौर से गुजर सकती है। 


आरबीआई गवर्नर कोरोना संकट से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए किए गए उपायों को लेकरएक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे. कोरोना से निपटने के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन की अवधि में केंद्रीय बैंक के गवर्नर यह तीसरी बार राहत के उपायों को लेकर प्रेसवार्ता कर रहे हैं.
आरबीआई ने प्रमुख उधारी दर को 0.40 प्रतिशत घटा दिया. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अचानक हुई बैठक में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में कटौती का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया. इस कटौती के बाद रेपो दर घटकर चार प्रतिशत हो गई है, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत हो गई है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कर्ज लेकर घर या वाहन खरीदने वालों से पर्सनल लोन लेने वालों के लिए शुक्रवार को फिर एक राहत का ऐलान किया. आरबीआई ने होम लोन, पर्सनल लोन, वीकल लोन की अदायगी की मासिक किस्त रोनके की अवधि अब 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है.मतलब कोरोना महामारी के संकट के समय लोगों को मासिक किस्त यानी ईएमआई भरने को लेकर बहरहाल चिंता करने की जरूरत नहीं है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ईएमआई चुकाने में राहत की अवधि एक जून से बढ़ाकर 31 अगस्त तक करने का एलान किया.

भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने शुक्रवार को भारतीय आयात-निर्यात बैंक(एक्जिम बैंक) को 15,000 करोड़ रुपए का कर्ज देने का एलान किया. एक्जिम बैंक को 90 दिनों के लिए यह कर्ज अमेरिकी डॉलर स्वैप करने के लिए दिया जाएगा.आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक प्रेसवार्ता में एक्जिम बैंक को 90 दिनों के लिए 15,000 करोड़ रुपए का कर्ज देने की बात कही.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर 2020-21 में निराशाजनक रहने की संभावना जताई. आरबीआई के अनुसार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर नकारात्मक रह सकता है.आरबीआई गवर्नर कोरोना संकट से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किए गए नये उपायों को लेकर शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे.

शक्तिकांत दास ने कहा कि दो महीनों के लॉकडाउन से घरेलू आर्थिक गतिविधि बुरी तरह प्रभावित हुई है. साथ ही उन्होंने जोड़ा कि शीर्ष छह औद्योगिक राज्य, जिनका भारत के औद्योगिक उत्पादन में 60 प्रतिशत योगदान है, वे मोटे तौर पर लाल या नारंगी क्षेत्र में हैं.उन्होंने कहा कि मांग में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं और बिजली तथा पेट्रोलियम उत्पादों की मांग घटी है. गवर्नर ने कहा कि सबसे अधिक झटका निजी खपत में लगा है, जिसकी घरेलू मांग में 60 फीसदी हिस्सेदारी है.

दास ने कहा कि मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण बेहद अनिश्चित है और दालों की बढ़ी कीमतें चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि कीमतों में नरमी लाने के लिए आयात शुल्क की समीक्षा करने की जरूरत है.

उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रमुख मुद्रास्फीति की दर स्थिर रह सकती है और दूसरी छमाही में इसमें कमी आ सकती है. उनके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में मु्द्रास्फीति की दर चार प्रतिशत से नीचे आ सकती है.इससे पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने पिछली बार 27 मार्च को रेपो दर (जिस दर पर केंद्रीय बैंक बैंकों को उधार देता है) में 0.75 प्रतिशत की कमी करते हुए इसे 4.44 प्रतिशत कर दिया था. 

error: Content is protected !!