November 25, 2024

छत्तीसगढ़ में रोजगार-स्टार्ट अप की बौछार, जारी हुई नई औद्योगिक विकास नीति….

रायपुर। उद्योग के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अब एक नई उड़ान भरेगा. CM विष्णु देव साय ने गुरुवार को राज्य की नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 का विमोचन किया. नई औद्योगिक नीति से प्रदेश में उद्योगों को मजबूती मिलेगी, रोजगार और स्टार्ट अप्स को बढ़ावा मिलेगा. इस मौके पर CM साय ने कहा कि नई औद्योगिक नीति रोजगारपरक और समावेशी है. नई औद्योगिक नीति भारत सरकार के विजन 2047 की परिकल्पना पर आधारित है. इस कार्यक्रकम की अध्यक्षता उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने की.

नई औद्योगिक विकास नीति जारी
छत्तीसगढ़ सरकार ने भारत सरकार के विजन 2047 की परिकल्पना को साकार करने तथा राज्य के औद्योगिक विकास को नई गति देने के उद्देश्य से नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की घोषणा की है. यह नीति 01 नवबंर 2024 से लागू की गई है. इसके जरिए उद्योगों में निवेश करने, नए रोजगार सृजन करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक मजबूत आधार दिया जाएगा. इस नीति के माध्यम से राज्य के युवाओं के लिए कौशलयुक्त रोजगारों का सृजन करते हुए अगले 5 सालों में 5 लाख नए औपचारिक क्षेत्र के रोजगार का लक्ष्य रखा गया है.

श्रमिकों के लिए प्रोत्साहन का प्रावधान
इस नीति में स्थानीय श्रमिकों को औपचारिक रोजगार में परिवर्तित करने के लिए प्रशिक्षण प्रोत्साहन का प्रावधान करते हुए 1000 से अधिक रोजगार प्रदाय करने वाली इकाईयों को प्रोत्साहन के अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है.

औद्योगिक विकास नीति 2024-30
छत्तीसगढ़ सरकार की यह औद्योगिक विकास नीति 2024-30 राज्य को एक निवेशक हितैषी और विकासशील राज्य के रुप में स्थापित करने में मदद करेगी. नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में सहभागिता के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमियों, सेवानिवृत्त अग्निवीर, भूतपूर्व सैनिकों (जिनमें पैरा मिलेट्री फोर्स भी सम्मिलित है), नक्सल प्रभावित, आत्म-समर्पित नक्सलियों एवं तृतीय लिंग के उद्यमों का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिये जाने का प्रावधान किया गया है.

औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की परिभाषा को भारत सरकार द्वारा परिभाषित एम.एस.एम.ई. के अनुरुप किया गया है. इसी के अनुसार ही इन उद्यमों को प्राप्त होने वाले प्रोत्साहनों को अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बनाया गया है. राज्य सरकार द्वारा देश में सेवा गतिविधियों के बढ़ते हुए रुझान को ध्यान में रखते हुए इस नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र अंतर्गत एमएसएमई सेवा उद्यम एवं वृहद सेवा उद्यमों के लिये पृथक-पृथक प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है. सेवा क्षेत्र अंतर्गत इंजीनियरिंग सर्विसेस, रिसर्च एंड डेव्हलपमेंट, स्वास्थ्य सेक्टर, पर्यटन एवं मनोरंजन सेक्टर आदि से संबंधित गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है.

विशिष्ट श्रेणी के उद्योगों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रावधान
औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में विशिष्ट श्रेणी के उद्योगों जैसे फार्मास्यूटिकल, टेक्सटाईल, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा गैर काष्ठ वनोंपज प्रसंस्करण, कम्प्रेस्ड बॉयो गैस, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस (ए.आई), रोबोटिक्स एण्ड कम्प्यूटिंग (जी.पी.यू), आई.टी.. आई.टी.ई.एस./डेटा सेंटर जैसे नवीन सेक्टरों के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान है. इसके साथ ही भ्रस्ट सेक्टर के ऐसे उद्योग जहां राज्य का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है और जहां भविष्य के रोजगार आ रहे हैं. उन क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रावधान है.

3 समूह
नीति में प्रोत्साहनों की दृष्टि से राज्य के विकासखंडो को 03 समूहों में रखा गया है. समूह-1 में 10, समूह 2 में 61 और समूह 3 में 75 विकासखण्डों को वर्गीकृत किया गया है. औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में विनिर्माण के लिए स्थाई पूंजी निवेश का 100% और सेवा क्षेत्र के लिए स्थाई पूंजी निवेश का 150% तक का समग्र प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है. नीति के माध्यम से एक ओर जहां राज्य के युवाओं को अपना स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘उद्यम कांति योजना’ का प्रावधान किया गया है.

वहीं दूसरी ओर देश में बन रहे बड़े इण्डस्टीयल कॉरीडोर के अनुरुप ही राज्य में भी NICDC के माध्यम से “इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर” औद्योगिक नगरी कोरबा-बिलासपुर-रायपुर की परिकल्पना की गई है, जो कि राज्य के औद्योगिक विकास में एक महत्तवपूर्ण कदम है.

इस नीति में प्रथम बार उद्यमों में राज्य के निवासियों को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय रोजगार सृजन को लक्ष्य में रखकर 1000 अथवा इससे अधिक रोजगार सृजन के आधार पर विशेष औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन का प्रावधान साथ ही उद्योगों में नियोजित राज्य के निवासी के प्रशिक्षण पर प्रति व्यक्ति रुपए 15.000/- की प्रशिक्षण वृत्ति प्रतिपूर्ति एवं कर्मचारियों पर होने वाले ई.पी.एफ. व्यय की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है. इसमें पहली बार ‘ग्रीन उद्यम’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए पर्यावरण संरक्षण उपायों को अपनाने के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन इनवायरमेंट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट अनुदान (पर्यावरणीय प्रोजेक्ट अनुदान), जल एवं उर्जा दक्षता (एनर्जी ऑडिट) व्यय प्रतिपूर्ति, गैर काष्ठ वनोपज प्रसंस्करण एवं ग्रीन हाइड्रोजन / कम्प्रेस्ड बॉयोगैस सेक्टर के वृहद उद्यम हेतु औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है.

error: Content is protected !!
Exit mobile version