November 16, 2024

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव-2023   : युवा कलाकरों के लोक गीतों ने लुभाया 

पंडवानी, भरथरी, धनकुल जगार, राऊत, करमाश्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

रायपुर| युवाओं ने पंडवानी, भरथरी, धनकुल जगार, राऊत गीत, करमा जैसे पारंपरिक लोक गीतों से खूब लुभाया। छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ लोक गायन के भी समृद्ध परंपरा रही है। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में चल रहे युवा महोत्सव में पहले दिन लोक गीतों के माधुर्य से श्रोेतागण मंत्रमुग्ध हुए। लोक गीतों की इस प्रतियोगिता का आयोजन पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम में हुआ। भरथरी लोक गायन के माध्यम से राजा भरथरी और रानी पिंगला की कथा को युवा कलाकारों ने जीवंत कर दिया।  

छत्तीसगढ़ में भरथरी गायन की परम्परा बहुत पुरानी है, जो एक लोक गायन शैली के रूप में प्रतिष्ठित है। भरथरी एक लोकगाथा है। भरथरी गायन प्रायः नाथपंथी गायक करते हैं।  भरथरी गायन में सारंगी या इकतारे पर भरथरी गाते हुए योगियों को अक्सर देखा जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में भरथरी गायन के इस रूप के अलावा महिला कण्ठों के माध्यम से इसने काव्यात्मक और संगीतिक धरातल पर एक नया रूप और रंग ग्रहण किया है। श्रीमती सुरूज बाई खांडे भरथरी-गाथा गायन की शीर्ष लोक गायिका है। श्रीमती सुरूज बाई खांडे की गायन-शैली में एक मौलिक स्वर माधुर्य और आकर्षण मौजूद है। 

लोकगीत प्रतियोगिता में प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा संभाग से 15 से 40 और 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के युवा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। महोत्सव में राऊत गीत की प्रस्तुति भी दी गई। छत्तीसगढ़ की राऊत जाति स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानती है। गोवर्धन पूजा के दिन इनका एक नृत्य गीत प्रारंभ होता है जिसे राऊत गीत कहते हैं।

error: Content is protected !!