July 3, 2024

बिहार के शिक्षकों को फटकार: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘छुट्टी की एप्लिकेशन तक नहीं लिख सकते, नौकरी कैसे मिल गई?’

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण का अहम हिस्सा होते हैं और अगर वे इन परीक्षाओं का सामना नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। जस्टिस बी वी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक पोस्ट ग्रेजुएट जिसे नौकरी मिल जाती है, वह छुट्टी के लिए एप्लिकेशन तक नहीं लिख पाता।

योग्यता परीक्षा का विरोध कर रहे शिक्षक
बिहार सरकार की योग्यता परीक्षा का विरोध करते हुए शिक्षक संघों ने अपनी याचिका में इसे रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि बिहार जैसी राज्य सरकार इस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करती है तो उसका विरोध क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माण करते हैं और यदि वे इन परीक्षणों का सामना नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

नियाेजित शिक्षकों की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक संघों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के नियमों के अनुसार ही उन्हें सक्षमता परीक्षा देनी होगी। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सहायक होते हैं और उन्हें अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

शिक्षक नियमावली का विरोध कर रहे हैं शिक्षक
शिक्षक संघों ने बिहार शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध किया था। इन नियमों के अनुसार, अगर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा हासिल करना है तो उन्हें सक्षमता परीक्षा पास करनी ही पड़ेगी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने इसमें प्रतिबद्धता जताई है और हम भी देश भर के बच्चों की शिक्षा को लेकर गंभीर हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की
कोर्ट ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षा देना एक महान पेशा है। शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक सिर्फ सैलरी और प्रमोशन में ही रुचि न लें। शिक्षकों को अपने कौशल और शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए भी काम करना चाहिए।

मुख्य खबरे

error: Content is protected !!
Exit mobile version